मानवता की सेवा

सुनील कुमार माथुर
कल्पना की बचपन से ही इच्छा थी कि वह बडी होकर डाॅक्टर बनेगी और बीमार लोगों की सेवा कर उनकों स्वस्थ करेगी । उसके मन में बचपन से ही उन डाॅक्टरो के प्रति रोष था जो रोगियों की सेवा करने के नाम पर सरकार से कोडियो के भाव जमीन लेकर बडे – बडे अस्पताल खोलकर बीमार रोगियों की सेवा करना तो दूर की बात हैं अपितु उपचार के नाम पर जनता-जनार्दन को ( रोगियों व उनके परिवारजनों को ) खुलें आम लुटा जा रहा था ।
कल्पना की सोच इस लुट खसोट से कोसो दूर थी । वह तो मानवता की सेवा को सर्वोपरि समझ कर मैडिकल की शिक्षा ग्रहण करके डाॅक्टर बनी । रियायती दर पर जमीन लेकर कल्पना ने अस्पताल खोला और अस्पताल का नाम भी मानवता की सेवा ही रखा ।
कल्पना का संकल्प था कि उसके अस्पताल में जो भी रोगी आयें वह पूर्णतया ठीक होकर हंसता मुस्कुराता वापस घर लौटे । कल्पना ने मानवीय मूल्यों को सर्वोपरि समझ कर अपना कार्य आरम्भ किया और लागत मूल्यों पर रोगियों का उपचार करना शुरू किया । देखते ही देखते उसके अस्पताल मानवता की सेवा की ख्याति दूर – दूर तक फैल गई और हर रोग का यहां लागत मूल्यों पर उपचार होने लगा एवं रोगी स्वस्थ होकर घर जाने लगें । उनके चेहरे की प्रसन्नता से स्पष्ट होता था कि वे चिकित्सा सेवा से कितने संतुष्ट है ।
रोगी यहां कार्यरत डाॅक्टरो व नर्सिग स्टाफ को ढेर सारी दुआएं देकर जाते थे । उनकी ईमानदारी व निष्ठा , कार्य के प्रति समर्पण का भाव देखकर हर कोई उनकी सराहना करता था । डाॅक्टर कल्पना ने अपने अथक प्रयासों से यह साबित कर दिया कि जीवन में सब कुछ पैसा ही नहीं हैं अपितु धन – दौलत से भी बढकर बडा धन है जनता की दुआएं ।
धन तो हर कोई येन केन प्रकारेण कमा सकता हैं लेकिन दुआएं पीडित मानवता की सेवा और निस्वार्थ भाव से सेवा करके ही कमाई जा सकती हैं । कहने का तात्पर्य यह है कि जीवन में पैसा ही सब कुछ नहीं है । पीडित मानवता की सेवा करना ही इंसान का परम धर्म हैं । सेवा रूपी धन ही इंसान के लोक व परलोक दोनों को सुधारता हैं ।
उसका कहना हैं कि मानवता की सेवा के नाम पर गलत तरीके से कमाया गया धन कभी भी इंसान को सुखी नहीं रहने देता हैं भले ही उनके पास अपार भौतिक सुख – सुविधाएं क्यों न हो लेकिन वे मानसिक रूप से कभी भी सुखी नहीं रह सकतें चूंकि जिनकी आत्मा को दुखाकर धन कमाया गया हैं उनकी बद् दुआएं उन्हें चैन से नहीं जीने देती और न ही चैन से मरने देती हैं।
¤ प्रकाशन परिचय ¤
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From »सुनील कुमार माथुरलेखक एवं कविAddress »33, वर्धमान नगर, शोभावतो की ढाणी, खेमे का कुआ, पालरोड, जोधपुर (राजस्थान)Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
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