कविता : मुरली का स्वर
राजीव कुमार झा
कन्हैया के
मुरली का स्वर
सुबह शाम
रोज सुनाई देता
वह सबके मन को
मोह लेता
मधुबन में
मुरली का स्वर
यमुना की बहती
धारा में
अब रोज सुनाई देता
मथुरा से वृंदावन की
गलियों में
सूरज संध्या में
अंगराई लेकर
उसे ढूंढने कहां
निकलता
वह गोकुल मथुरा में
रहता
वृंदावन का वासी
रानी रुक्मिणी
उसके चरणों की दासी
यह सुनकर राधा
बरसाने में
अब भी चुप हो जाती
भादों में आया
यमुना तट पर
ऐरावत नाम का हाथी
उसे देख कर
अब भी हंसते
मुरलीधर कृष्ण कन्हैया के
सारे संगी साथी.
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¤ प्रकाशन परिचय ¤
From »राजीव कुमार झाकवि एवं लेखकAddress »इंदुपुर, पोस्ट बड़हिया, जिला लखीसराय (बिहार) | Mob : 6206756085Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
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