कविता : इस नये साल में
कविता : इस नये साल में, मुर्गी बिना अंडा न हो टीचर बिना डंडा न हो। मछली बिना पानी न हो राजा बिना रानी न हो। भोजन बिना तेल न हो यात्री बिना रेल न हो। आटा बिना चोकर न हो सर्कस बिना जोकर न हो। सब्जी बिना नमक न हो वर्तन बिना चमक न हो। #आशीष तिवारी निर्मल, लालगांव, रीवा
विद्यार्थी बिना शिक्षा न हो भिखारी बिना भिक्षा न हो।
कोई युवा बेरोजगार न हो पल-पल होते भ्रष्टाचार न हो।
नारी पर कोई अत्याचार न हो जिससे वो असहाय लाचार न हो।
मंहगाई की बिल्कुल मार न हो जिसका कोई जिम्मेदार न हो।
बिजली बिल अतिभार न हो किसान बेचारा लचार न हो।
कोई भी घर बिना टीन न हो संपेरा बिना बीन न हो।
डाक्टर बिना आला न हो माली बिना माला न हो।
घर बिना ताला न हो दामाद बिना साला न हो।
मुर्गी बिना अंडा न हो टीचर बिना डंडा न हो।
मछली बिना पानी न हो राजा बिना रानी न हो।
भोजन बिना तेल न हो यात्री बिना रेल न हो।
आटा बिना चोकर न हो सर्कस बिना जोकर न हो।
सब्जी बिना नमक न हो वर्तन बिना चमक न हो।
टीवी बिना पिक्चर न हो कोहली बिना सिक्सर न हो।
गाड़ी बिना तेल न हो टंकी बिना पेट्रोल न हो।
घोड़ा बिना नाल न हो सिर बिना बाल न हो।
मंत्री बिना गाड़ी न हो बीवी बिना साड़ी न हो।
दफ्तर बिना फोन न हो बैंक बिना लोन न हो।
बे-स्वाद कोई खाना न हो पुलिस बिना थाना न हो।
दीपक बिना तेल न हो कैदी बिना जेल न हो।
मुकदमा बिना फाईल न हो सिम बिना मोबाइल न हो।
अटल जी के जन्मदिवस पर लेखक गांव में ऐतिहासिक कार्यक्रम का आयोजन