नागपुर की कवयित्री और लेखिका रति चौबे का साक्षात्कार

(देवभूमि समाचार)
नागपुर की कवयित्री और लेखिका रति चौबे का संस्मरण संग्रह प्रकाशन के बाद चर्चा के दायरे में रहा और इनका कविता संग्रह भी जल्द ही प्रकाशित होगा. यहां प्रस्तुत है, राजीव कुमार झा के साथ संपन्न इनकी संक्षिप्त बातचीत!
प्रश्न: आपका संस्मरण संग्रह हाल में प्रकाशित हुआ है, इसके बारे में बताएं ?
उत्तर :”मेरे शब्द” मेरी संस्मरण की पुस्तक पिछले वर्ष प्रकाशित हुई, जो काफी पंसद की गई है ! इसके विषय में क्या बताऊं?मेरी ह्दय वाटिका की कोमल धरा में रोपित बीजों को मैंने इस पुस्तक में बिखेरा है ।एक एक बीज मेरी ह्दय धरा में सालों से समाए थे,कोई बीज मन को गुदगुदा कर फूटा,कोई होठों पर मंद मुस्कान बिखेर देता हैै,कोई बीती स्मृतियों की गुफा में ले जाता है,तो कोई खिलखिलाने को मजबूर करता है,तो कोई ठहाका मारने को तो कोई आंखों से आंसूं बन बहकर चुपचाप एक संदेश दे जाता है-बस “संस्मरण”का अर्थ ही होता है जिसमें जीवन के सारे “अंश”समाए हों और “मरण”तक ह्दय और मष्तिष्क से नहीं जाते -आप “मेरे शब्द”पुस्तक लें,पढ़ें मेरेे ये शब्द संस्मरण बन सदा आपके साथ खिलते रहेंगे।
प्रश्न : साहित्य में अभिरुचि कैसे कायम हुई ?
उत्तर: साहित्य लेखन में मेरी रुचि मेरे पिता श्री यतीद्र केशव शर्मा ,कवि साहित्यकार ने जगाई ,लेखन मेरी आदत बन गया है।
प्रश्न : कविता को आप कैसे परिभाषित करना चाहेंगी ?
उत्तर: कविता क्या है ? ह्दय में उठते भावों को जब हम शब्दों का रूप दे प्रस्तुत करते हैं तब वह काव्य बन जाती है।रागों या वेगस्वरूप मनोवृत्तियों का सृष्टि के साथ उचित सामंजस्य स्थापित करके काव्य जीवन की व्यापकता की अनुभूति करने का प्रयास करता है ,जब कवि भावों के प्रसव से गुजरते हैं तो कविताएं प्रस्फुटित होती हैं,कविता मन के भावों को ऐसे प्रकट करती है मानों हर दृश्य आंखों के सामने आ जा रहे हों,कविताएं ही मनोवेगों को प्रकट करने का उत्तम जरिया हैं !
प्रश्न : अपने घर परिवार के बारे में बताएं ?
उत्तर: मैं एक सम्पन्न, शिक्षित, प्रतिष्ठित परिवार की बेटी-बहू हूं! मैंने एम.ए. (डबल) और एल.एल.बी. के अलावा बी.एड. किया, लेक्चरर रही, अब गृहिणी हूं लिखना मेरा शौक है।
प्रश्न : आपने किन-किन लेखकों को पढ़ा है ?
उत्तर – मैंने काफी लेखकों और कवियों को पढ़ा है , हर लेखक समाज को एक संदेश ही देता है जो अपने में अलग रहता है।
प्रश्न :आप राजस्थान , भोपाल और नागपुर की यादों को किस तरह साझा करना चाहेंगी ?
उत्तर: राजस्थान में जन्म हुआ तो मुझे आज भी वहां के बालू रेत के टीले, वहां का पहनावा,,भाषा, सेे प्यार है, वहां की माटी मुझे पुकारती है,और भोपाल में कक्षा छह से पूरी पढ़ाई की जीवन आधा वहीं गुजरा तो वहां से लगाव है,और फिर नागपुर स्वाभाविक है , यह हर प्रकार से यादों का पिटारा है।
प्रश्न : भारतीय कला संस्कृति की महान परंपरा के बारे में अपने विचारों को प्रकट करें ?
उत्तर: भारतीय साहित्य कला और संस्कृति दुनिया की धरोहर है इसमें कोई संदेह नही, विश्व पटल पर पर इसकी एक अलग ही पहचान है, भारतीय संस्कृति बहुआयामी है,जिसमें भारत का इतिहास विलक्षण भूगोल,सिंधुघाटी की सभ्यता के दौरान बनी वैदिक युग में जाकर विकसित हुई सभ्यता,बौद्ध धर्म व स्वर्णयुग का आरंभ पूरे विश्व में अपनी संस्कृति, कला, साहित्य और परम्पराओं के लिये भी प्रसिद्ध है, अनेकता में एकता ही भारतीय संस्कृति लेकर चलती है, यहां विविधता है , विभिन्नता में हमारी संस्कृति एकता एकता का भाव प्रकट करती है। सत्यं-शिवं-सुंदरम् संस्कृति के मूल तत्व हैं,मानव से मानव को जोड़ती है यहां की संस्कृति, वैज्ञानिकता, उपलब्धियां, गीता, रामायण, धर्मग्रंथ, स्मारक, उपनिषद्,आदि समाज की विभिन्नता को जोड़ते हैं। वास्तुकलाएं साहित्य समाज में फूलों की सगंध की तरह व्याप्त हैं। युग युगांतर तक यह सुंगध रहेगी ।साहित्य,कला,संस्कृति का रिश्ता कभी मृत नहीं होता यह “धरोहर” के रूप में जीवंत रहती है सदा सर्वदा को।
प्रश्न : अपनी अभिरुचि के अन्य कार्यों के बारे में बताएं ?
उत्तर: चित्रकारी,संगीत,नृत्य,गायन, खाना बनाना, घर के हर कोने को सजाना – संवारना,समाज सेवा ,हर कार्य को नवीनता से करना यह सब मेरे पसंदीदा कार्य हैं !
प्रश्न : आप किस तरह के लेखन को पूर्ण मानती हैं ?
उत्तर: कविता लेखन संवेदना और अनुभूति के बिना अपूर्ण है,मै यथार्थ को छूता लेखन पसंद करती।
प्रश्न : समाज में सोशल मीडिया के महत्व के बारे में बताएं?
उत्तर: आजकल देश विदेश का हर बच्चा, युवा, वृद्ध सोशल मीडिया से जुड़ा है या कहो लत लगाते गई है इसकी सोशल मीडिया ने पूरे विश्व को एकमेक कर दिया है। यह एक इसका सकारात्मक प्रभाव ही है ,बच्चों के लिए भी डिजिटल साक्षरता कौशल विकसित करने का। साधन है। युवाओं को हर क्षेत्र में सपोर्ट करता है,आनलाइन संवाद रिश्तों को प्रगाढ़ कर रहे हैं.विकलांग बच्चे भी इसे अपना कर खुश हैं,वे अपने को अब सक्षम मानते हैं,यह अब रोजमर्रा के जीवन का हिस्सा बन गया है जीवन में जागरूकता आ गई है. सकारात्मक आनलाइन पोर्टफोलिया बनाने के लिये सक्षम हो गए हैं।अगर सोशल मीडिया का सही उपयोग करें तो सकारात्मक रूप से यह
उत्कर्ष का अच्छा साधन है ,आज सोशल मीडिया से दूर परिचय आसान है।
प्रश्न : आपको किस तरह का साहित्य पसंद है ?
उत्तर: मुझे जो साहित्य मन मस्तिष्क को झकझोर दे एक नयी राह को हमें दिखाये,भावनाएं शुद्ध करे और आदित्य की तरह अपनी रश्मियां बिखेर सबको मंत्रमुग्ध करे और आपराधिक दुनिया से दूर हो,जिसमें अश्लीलता ना हो वही पंसद है।
प्रश्न – कविता में यथार्थ और कल्पना के समन्वय के बारे में बताएं ?
मेरी सोच है कि यथार्थ व कल्पना के सृजन में बहुत अतंर है ,कल्पना में कवि यथार्थ से दूर ही चला जाता है उसे उस काल्पनिक दुनिया में ही अच्छा लगता है वह वहां अनुभव करता है,यथार्थ में परिवर्तन ,कल्पना में वह सोच कर रुपरेखा बनाता है पर यथार्थ में जो देखता है उसका ही चित्रण करता है। काल्पनिक कविता…
“ऐ चांद ले चल मुझे बैठा चंद्ररथ में चांदनी में लपेट चंद्रनगर,
यथार्थ
मेरे ही रक्षक मेरे भक्षक मैं कैसे रहूं फिर सक्षम !”
प्रश्न – कविता लेखन में अपनी अनुभूति और संवेदना के बारे में बताएं ?
उत्तर – कविता लिखते समय मैं अपने मन के सुप्त भावों को जगाती हूं,सोचती,चितंन करती ,मनन करती अपने को उस चरित्र से मिलवाती, शब्दों को काव्यमय रूप में उसे संजोकर फिय। कागज पर बिखेरती हूं उसमें वो दर्द,प्रेम,भरती ताकि मेरा चित्रण सजीव लगे. पाठक द्रवित हो,खुद को नायिका ही मानती यहां तक की आंखों में आंसू आ जाते और फिर गा उठती जाती हूं तुमसे दूर प्रिय कभी याद आऊं तो कर लेना – वक्त की धुंध में छुप जाऊंगी कभी। धुंध चाहो तो हटा लेना,जाती हूं !
प्रश्न – नारीवादी कविता और इसमें अभिव्यक्ति की स्वच्छंदतावादी चेतना को यथार्थ की धुंध ने कुंठित करके रख दिया है , इसके बारे में बताएं ?
उत्तर – जहां तक मैं सोचती हूं, यथार्थवादी शैली ने नारी के मन के रोमांस और उसकी स्वच्छंदता को कुंठित करके एक ओर इसे तिरस्कृत कर दिया है ।नारीवादी कविता नारी की स्थिति ,विचार,और सिद्धातों को व्यक्तकरने का एक स्त्रोत है, सदियां बीत गईं पर उसकी। वह कुंठाएं आज भी जीवित हैं, वह समाज से अपने प्रश्नों के उत्तर मांग रही हैं .इन प्रश्नों के उत्तर कौन दे? यह आज नारीवादी कविता लेखन की आवश्यकता है.यही कारण है कि मैं अपनी कविताओं में भावों की अभिव्यक्ति करने का प्रयास करती हूं. नकारात्मकता को हटा सकारात्मकता को महत्व दूं, अहसास,संवेदना ,प्रेम श्रृंगार, व्यंग्य, मेरी कविता में मिलेंगे –
“मुझे ही अलंकृत करते हो, मुझे ही वीभत्स करते हो
मुझे ही वस्त्र ओढ़ाते हो, मेरे ही वस्त्र उघाड़ते हो
यह कैसी विडम्बना है?
मेरे लिये कानून में संशोधन
मेरे ही व्यक्तित्व में चाहो
तुम संशोधन
एक प्रश्नचिह्न ?”
श्रीमती रति चौबे का परिचय
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नाम : श्रीमती रति चौबे
शिक्षा : डबल एमए, एलएलबी, बीएड
रुचि : नृत्य, संगीत, चित्रकला, समाज सेवा
पति : एड. दिनेश चौबे
अन्य : लेक्चरर रही
- नागपुर की प्रतिष्ठित संस्था “हिदी महिला समिति”की 30 वर्ष से है अध्यक्षा
- राष्टीय महिला मंच की है संयोजिका
- आल इंडिया ब्राह्मण संगठन नागपुर शाखा की अध्यक्ष
- उत्तराखंड युवा प्रधिनिधि मंच द्धारा रचित बाखई ग्रूप की सर्वभाषीय ब्राह्मण मंच की अध्यक्ष
- नागपुर चतुर्वेदी महासभा की पांच वर्ष अध्यक्ष
- अ.भा.ब्रा जागृति मंच की 25 बर्षो से अध्यक्ष
- दूर्गा महिला मंदिर की अध्यक्ष
सम्मान
- राष्टीय एवं राजस्तरीय 25 सम्मान
- राष्टीय फैलोशिप प्राप्त लेखन सम्मान
- अटल सम्मान देहली से
- देहरादून से श्री देवी नारी शक्ति सम्मान
- आर्यन फिल्म प्रोडक्सन से सम्मान
- सामाजिक कार्यकर्ता रही
- 3 साल नागपुर क्षेत्र द.प. की उपाध्यक्ष रही
¤ प्रकाशन परिचय ¤
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From »राजीव कुमार झाकवि एवं लेखकAddress »इंदुपुर, पोस्ट बड़हिया, जिला लखीसराय (बिहार) | Mob : 6206756085Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
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