पर्यावरण संरक्षण का महत्व और इससे जुड़े कार्य
पर्यावरण संरक्षण का महत्व और इससे जुड़े कार्य, पर्यावरण संरक्षण एक व्यापक महत्व का कार्य है और इसके समग्र पहलुओं पर दृष्टिपात करने से वर्तमान समय में इस समस्या की भयावह जटिलता भी उजागर होती है। राजीव कुमार झा, लखीसराय (बिहार)
आधुनिक काल में औद्योगिक सभ्यता के विकास से धरती पर पर्यावरण को काफी नुकसान पहुंचा है और इससे यहां जल , वायु और वनस्पति प्रदूषण की चपेट में आकर मनुष्य के जीवन के लिए गंभीर संकट की स्थिति कायम कर रहे हैं। पिछली कुछ शताब्दियों में पृथ्वी पर मनुष्य विभिन्न प्रकार के खनिज पदार्थों के उत्खनन में खास तौर पर संलग्न हुआ है।
इनसे वर्तमान सभ्यता की जरूरतों के अनुरूप असंख्य प्रकार की वस्तुओं का उत्पादन किया जा रहा है। इसे विकास भी माना जाता है लेकिन कल कारखानों और अनाकानेक प्रकार के यातायात साधनों से उत्सर्जित कार्बन ने वायुमंडल को व्यापक रूप से प्रदूषित कर दिया है और दुनिया की ज्यादातर नदियों का जल विषाक्त हो चुका है।
वर्तमान जीवन संस्कृति ने प्रकृति के साथ मनुष्य के सदियों पुराने आत्मिक संबंधों को तहस नहस करके रख दिया है और धरती पर तापीकरण एक विकट समस्या का रूप ग्रहण करता जा रहा है। इससे आने वाले कालों में ध्रुवीय क्षेत्रों में बर्फ़ के पिघलने से समुद्र के जलस्तर में बढ़ोतरी से धरती के निचले क्षेत्रों के डूब जाने का अंदेशा भी जताया जा रहा है।
धरती पर खनिज संसाधन सीमित परिमाण में उपलब्ध हैं और अगले कुछ दशकों में कोयला और तेल के खत्म होने की संभावना भी प्रकट की जा रही है लेकिन कुछ दशकों तक धरती पर कायम होने वाले इनके उपभोग ने यहां प्रकृति और मनुष्य जीवन के नैसर्गिक संबंधों के तमाम सहज सूत्रों को बिखेरकर रख दिया है।
पर्यावरण संरक्षण एक व्यापक महत्व का कार्य है और इसके समग्र पहलुओं पर दृष्टिपात करने से वर्तमान समय में इस समस्या की भयावह जटिलता भी उजागर होती है। इस बारे में यह कहा जा सकता है कि सिर्फ वृक्षारोपण ही एकमात्र इस समस्या का समाधान नहीं है।
हमें पर्यावरण क्षरण के तमाम पहलुओं पर विचार करना होगा और धरती पर जलवायु परिवर्तन की प्रक्रिया को लेकर बेहद सचेत होना होगा तभी अगली शताब्दियों में आने वाली पीढ़ी को हम यहां कोई सुरक्षित संसार प्रदान कर पाएंगे। वृक्ष धरती पर जीवन के आधार हैं। इनसे मनुष्य को जीवनदायी आक्सीजन प्राप्त होता है। इसलिए धरती पर फिर से गहन वनीकरण के कार्यक्रम को शुरू किया जाना चाहिए।
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