नफरती नाग

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मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

जो प्यार- मोहब्बत के उपदेश दे रहे हैं,
असल में वही नफरती नाग जहर उगल रहे हैं।
वो देते हैं उपदेश सब मोह माया है-
ढोंगी ! स्वयं तिजोरियां भर रहे हैं।

दिन के उजाले में भी बढ़ाते रहे पाप का साम्राज्य,
वे वहशी दरिंदे देवता बन रहे हैं।
दबाये बैठे हैं न जाने कितनों का हक…
लाखों खर्च करके भंडारे कर रहे हैं।

जो अनगिनत बेटियों की लूट चुके आबरू,
वे कन्या पूजन कार्यक्रम का आयोजन कर रहे हैं।
जिन्होंने मजदूर की मजदूरी दी न कभी पूरी,
वो जन सेवक बनकर घूम रहे हैं।

जिंदगी भर खून पीते रहे गरीबों का
वही शैतान हवन कर रहे हैं।
हमेशा कुकर्मों के सागर में गोते लगाते रहे,
अब गंगा नहा के स्वर्ग जाने के सौ-सौ जतन कर रहे हैं।

जो प्यार -मोहब्बत के उपदेश दे रहे हैं,
असल में वही नफरती नाग जहर उगल रहे हैं।


¤  प्रकाशन परिचय  ¤

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मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

लेखक एवं कवि

Address »
संचालक, ऋषि वैदिक साहित्य पुस्तकालय | ग्राम रिहावली, डाकघर तारौली गुर्जर, फतेहाबाद, आगरा, (उत्तर प्रदेश) | मो : 9627912535

Publisher »
देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड)

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