इतनी पिलादे यार, मैं सो ना सकूं

राजेश ध्यानी ‘सागर’
जिदंगी
इतनी पिलादे यार
मैं सो ना सकूं
जिसको सींने से लगाया
वो खांमोश हो गया
क्या पूछें कैंसी हे तू
मस्त हो गया
अपनी जिंदगी में
तेरे कारण कितने
दुख सहें
मन करता छोंड तुझे
डगर सम्भालूं अपनी
पर तू भौंर का सितारा
दुख सहता गया
तुझें छोंड ना सका
वो पत्थर मैं ढूंढ़ न सका
मुझें पता नहींचला
तू पत्थर को
संग लिये
आज मेरी नींव
हिलीं हैं तू छाती पर
सजा गया
¤ प्रकाशन परिचय ¤
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From »राजेश ध्यानी “सागर”वरिष्ठ पत्रकार, कवि एवं लेखकAddress »144, लूनिया मोहल्ला, देहरादून (उत्तराखण्ड) | सचलभाष एवं व्हाट्सअप : 9837734449Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
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