बगिया का माली

बगिया का माली, आप समाज को उसका दुगुना करके दे दीजिए। ईश्वर आपका कल्याण अवश्य ही करेगा। जीवन तो दूसरों की सेवा करने के लिए एवं प्रभु की भक्ति करने के लिए ही तो मिला है। अतः अंहकार व क्रोध का त्याग कर भक्ति के मार्ग पर चले। ✍🏻 सुनील कुमार माथुर, जोधपुर (राजस्थान)
किसी महापुरुष ने सही कहा हैं कि परिवार को मालिक बनकर नही़ अपितु माली बनकर संभालों, चूंकि जिस बगिया का माली अच्छा होगा उस बगिया का हर पुष्प महकेगा। ठीक इसी प्रकार संयुक्त परिवार को चलाने के लिए त्याग, संयम, धैर्य, सहनशीलता, प्रेम व स्नेह का भाव मुख्या में होना नितांत आवश्यक है और यह तभी संभव हैं जब हम ईश्वर की भक्ति करे।
उस परमसता के आशीर्वाद से ही हम में इन गुणों का आगमन होता है। वैसे भी ईश्वर हर वक्त उन लोगों के साथ रहता है जो उसकी भक्ति में अपने आपको को समर्पित कर देता है।
आज का इंसान दूसरों में कमियां ढूंढता है। ठीक वैसे ही जैसे आंखें सब कुछ देख लेती है लेकिन अपनी आंख में गिरे कचरे या मच्छर को नही देख पाती हैं। यही हाल इंसान का है। वह अपने अवगुणों को नहीं देख रहा है। मगर दूसरों में खामियां निकाल रहा है।
अरे मूर्ख इंसान, देखना ही है तो अपनी कमियों को देख और उन्हें सुधार कर अपने जीवन को कंचन की भांति बना। सदैव नेक कर्म कर तभी उसका श्रेष्ठ फल मिलेगा। जीवन में कभी भी किसी के धैर्य की परीक्षा न लें। बस आप अपना कर्म करते रहिए। फल की चिंता न करे। आप तो बस इतना कीजिए कि समाज ने आपको जितना दिया है।
आप समाज को उसका दुगुना करके दे दीजिए। ईश्वर आपका कल्याण अवश्य ही करेगा। जीवन तो दूसरों की सेवा करने के लिए एवं प्रभु की भक्ति करने के लिए ही तो मिला है। अतः अंहकार व क्रोध का त्याग कर भक्ति के मार्ग पर चले।
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