किस्मत की रेखाएं

fate lines

सुनील कुमार माथुर

जीवन में सदैव सकारात्मक सोच के साथ आगें बढें । न कभी किसी का बुरा करें और न ही किसी के बारे में बुरा सोचें चूंकि जो दूसरों के लिए खाई खोदता हैं वही सबसे पहलें उसमें गिरता हैं । अतः जीवन में कभी भी किसी का बुरा न करें । चूंकि वक्त कभी भी एक सा नहीं रहता हैं । वह सदैव बदलता रहता हैं । कभी अच्छा वक्त आता हैं तो कभी बुरा वक्त भी आता हैं । लेकिन हमें हर परिस्थितियों में समान बनें रहना चाहिए ।

जीवन में ऊंचाइयों को जरूर छुएं लेकिन कभी भी गलत कार्य करके ऊंचाइयों को छुने का प्रयास न करें अन्यथा आपका पतन निश्चित हैं । जीवन में उतार चढाव तो आते ही रहते हैं लेकिन इससे हताश व निराश मत होईये अपितु निराशा के माहौल में भी आशा की किरण ढूंढ निकालिए और आगे बढते चलें । यह निराशा के बादल आपके परिश्रम से आशा की किरण लेकर आयेंगे और प्रगति के पथ की ओर अग्रसर होना आरंभ हो जायेंगे चूंकि हर निराशा व हताशा में ही सफलता की राह छिपी होती हैं । बस आप अपनी सोच व नजरियां बदलिए और निरन्तर आगें बढें ।

भारत की सभ्यता और संस्कृति व नैतिक मूल्यों का सदैव पालन करना चाहिए । भारतीय सभ्यता और संस्कृति श्रेष्ठ संस्कृति हैं । कहते हैं कि जहां डाल डाल पर सोने की चिडियां करती हैं बसेरा वह भारत देश हैं मेरा । जिस देश की ऐसी अनुपम छवि हो उसकी सभ्यता और संस्कृति कितनी महान होगी इसका स्वतः ही अंदाजा लगाया जा सकता हैं ।

आज युवाओं में संस्कारों का अभाव दिखाई देता हैं जो चिंता की बात हैं । बच्चों को अच्छा पढाओ , लिखाओ , खिलाओ , पिलाओ और पहनाओ लेकिन साथ ही साथ भारतीय सभ्यता और संस्कृति व नैतिक मूल्यों का पाठ भी पढाये । जब तक हम अपनी सभ्यता और संस्कृति को नहीं समझेंगे तब तक केवल किताबी ज्ञान से कुछ भी हासिल होने वाला नहीं है । पढाई के साथ ही साथ अपने धर्म और संस्कारों व संस्कृति को जानना भी आवश्यक है ।

व्यक्ति को कभी भी अपनी सभ्यता और संस्कृति व नैतिक मूल्यों को नहीं भूलना चाहिए । आज की युवापीढ़ी छोटी – छोटी बातों में हताश व निराश होकर आत्महत्या कर रहीं है जो उचित नहीं है । जीवन में अपना लक्ष्य निर्धारित करके आगें बढना चाहिए लक्ष्य की प्राप्ति के लिए कठिन परिश्रम करना चाहिए । हम अपना पसीना बहाकर किस्मत की रेखाएं भी बदल सकते हैं । बस इसके लिए दृढ इच्छा शक्ति व विश्वास होना नितान्त आवश्यक है ।

ईश्वर के नाम का स्मरण कीजिए । ईश्वर की भक्ति कीजिए । भक्ति के आगे तो मृत्यु भी सिर झुका लेती हैं । इसलिए मृत्यु से न डरे और ईश्वर की भक्ति में ध्यान लगा लीजिये । जो लोग धर्म से विमुख रहये हैं उन्हें पशुओं के समान समझा जाता हैं । अगर आप प्रभु की भक्ति में ध्यान नहीं लगा सकते हैं तो फिर यह जीवन जीना ही बेकार हैं । जो भक्ति से जी चुराता हैं वह अपना यह लोक व परलोक दोनों ही बिगाडता हैं यह जिन्दगी बडी ही अनमोल है इसे यूं ही बर्बाद न करें ।

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