बेईमानी से कमाया गया धन कभी भी नहीं फलता

सुनील कुमार माथुर
बेईमानी से कमाया गया धन कभी भी नहीं फलता हैं । इसलिए याद रखिये कि मेहनत से व ईमानदारी व निष्ठा के साथ कमाया गया धन ही फलता हैं । बेईमानी से भले ही इंसान धन कमा ले लेकिन याद रखिये ऐसे व्यक्ति घुट – घुटकर मरते हैं । अतः व्यक्ति को हमेशा ईमानदारी से कार्य करके ही धन कमाना चाहिए । तभी आप आनंद का जीवन व्यतीत कर पायेंगे ।
बेईमानी से कमाये गये धन से आप बंगला , गाडी , कपडे लते व सुख सुविधाओं की तमाम चीजें खरीद सकतें है । दान पुण्य करके दानी कहला सकते हैं लेकिन ऐसे धन से आपकों पुण्य का लाभ नहीं मिल सकता । आप सुख की नींद नहीं सो सकतें । ऐसे लोगों को मन में नाना प्रकार का भय सताता रहता हैं । वे आनंद से खुलकर हंस भी नहीं सकतें । उनकी हंसी व मुस्कुराहट भी नकली होती हैं चूंकि हम जो धन खर्च कर तमाशा देख रहें है वह भी बनावटी हैं चूंकि हमने जो धन कमाया वह लोगों का शोषण करके कमाया हैं और ऐसा धन कभी भी नहीं फलता हैं ।
बेईमानी से कमाये गये धन पर हमारा हक नहीं होता हैं अपितु उस व्यक्ति का हक हैं जिसने अपना पसीना बहाया हैं हम सेठ नहीं शोषक हैं । जो लोग धनवान बनने के लिए परिश्रमी व्यक्ति का शोषण कर रहें है , उसके हक पर डाका डाल रहें है , दिन दहाडे उसके श्रम पर नाग की तरह कुंडली मार कर बैठें है । कहने का तात्पर्य यह है कि श्रमिक को उसके श्रम का पूरा वेतन मिलना चाहिए । अगर हम श्रमिक को उसके हक का पूरा वेतन नहीं देते हैं तो यह हमारी भूल नहीं अपितु बेईमानी व क्रूरता है ।
प्रकृति जैसा चाहे वैसा हमें नचाती है लेकिन प्रकृति को परमात्मा जैसा चाहे वैसा नचाते है । मान व सम्मान जो होता है वह इस शरीर का होता है । आत्मा का कोई मान अपमान नहीं होता है । जितने भी संत हुए है वे सभी गृहस्थी में रहकर ही संत हुए है । तब क्या गृहस्थी में रहकर हम भगवान का नाम भी नहीं ले सकते ।
महिलाएं जितनी सहनशील होती है उतना सहनशील और कोई नहीं होता है । वह सब कुछ सहन कर सकती है लेकिन अपने बच्चों की भूख सहन नही कर सकती । जब हम कथा स्थल पर बैठते है तब हमारे मन में सदैव अच्छे विचार और ख्याल आते हैं । चूंकि कथा स्थल का वातावरण ही इतना सुन्दर होता है कि उसका क्या बयान करें । उसका वर्णन शब्दों में करना कठिन है ।
अगर सच्चे अर्थो में भगवान के दर्शन करने हो तो कथा स्थल, भजन-कीर्तन स्थल व जहां सत्संग हो रहा हो वहां जरूर जाइये । आप को पता ही नहीं चल पायेगा कि कब समय निकल गया । कथा सुनने से मन में भक्ति भाव जागृत होता है । भक्ति भाव से मन में उदारता के भाव आते हैं और उदारता के भाव के कारण ही मन में सेवा का भाव आता है । अतः जब भी आपको समय मिले तब कथा अवश्य ही सुने एवं अपनी श्रद्धा अनुसार दान पुण्य अवश्य करें । भगवान आपके भण्डार अवश्य ही भरें रखेंगे ।
अतः प्यासे को पानी अवश्य ही पिलायें । भूखे को भोजन करावे । अशिक्षित को शिक्षित करें । ज़रूरतमंदों की मदद अवश्य करें । आप का तनिक भी सहयोग जरूरतमंदो के लिए सम्बल होगा । चूंकि बूंद बूंद से ही घडा भरता है । कहते हैं कि पहले घर ऐसे होते थे कि परिवार के एक सदस्य को दर्द होता था तो परिवार के सभी सदस्य उस दर्द को महसूस करते थे लेकिन आज ऐसा नहीं लगता है चूंकि पहले संयुक्त परिवार हुआ करते थे लेकिन आज संयुक्त परिवार एकल परिवार में बदल रहे है । इस वजह से वे दूसरों का दर्द नहीं समझ पाते है ।
यह जीवन बडा ही अमूल्य है । अतः इसे यूं ही बर्बाद न करें । अपितु दीन दुखियों की सेवा करें । वृध्द माता पिता के चरण दबायें । सदैव मुस्कुराते रहे । कार्य करें तो ऐसा करें कि आपका मन भी खुश रहे और दूसरों का मन भी प्रसन्न रहें । कर्मो का फल अवश्य ही मिलता है जिस प्रकार आप इस नश्वर संसार में रहकर बैंक में नगद राशि जमा कराते है ठीक उसी प्रकार अच्छे कर्म करके । नेक कार्य करके आप अच्छे व नेक कार्य का पुण्य जमा कीजिए और मृत्यु के पश्चात आपके जमा किये गये पुण्य कार्य ही आपके काम आयेगे और इन नेक कर्मो के अनुसार ही आपको पुण्य का फल मिलेगा । सदैव इस बात का ध्यान रखों कि कभी भी किसी का दिल न दिखाओ ।
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