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आपके विचार

गंदा है मगर धंधा है…

काजल राज शेखर भट्ट

भारत में वेश्यावृत्ति का प्रमुख कारण गरीबी को माना जाता है। इस पेशे को अपनाने वाली ज्यादातर महिला लाचारीवश ही इसे अपनाती हैं। वे सामान्यतः अशिक्षित भी होती हैं और उनके पास किसी कार्य का विशिष्ट कौशल भी नहीं होता है। दुर्भाग्य से यदि ऐसी महिलाओं का सामना दलालों से हो जाए तो उनके इस पेशा में आने की सम्भावना बढ़ जाती है। कई माता-पिता गरीबी से तंग आकर अपनी बेटियों को बेच देते हैं।

उनका यह भी मानना होता है कि घर के मुकाबले ‘चकलाघर’ (लड़कियों को पैसे देकर शादी करना और शादी के बाद मायके से संबंध पूर्ण रूप से खत्म हो जाना) में उसकी बेटी का जीवन बेहतर होगा। कई महिलाओं एवं लड़कियों को उनके रिश्तेदारों, पति एवं पुरुष-मित्रों द्वारा भी इस पेशे में धकेला जाता है। कई लोग महिलाओं को शादी या नौकरी का झांसा देकर उन्हें चकलाघर पहुंचा देते हैं। कई बार पड़ोसी देशों से लड़कियों को बहुत कम पैसे में खरीदकर इस पेशे में शामिल किया जाता है।

यह भी देखा गया है कि सड़क के किनारे भीख मांगने वाली लड़कियों को भी चकलाघर तक पहुंचा दिया जाता है। इन महिलाओं एवं लड़कियों की स्थिति चकलाघर में बन्द कैदियों जैसी ही होती हैं। भारत के कुछ राज्यों में धार्मिक रीति-रिवाजों और रूढ़ियों के कारण भी कुछ स्त्रियों को वेश्यावृत्ति में धकेल दिया जाता हैं। आंकड़ों के अनुसार वर्तमान परिवेश में भी वेश्यावृत्ति एक बहुत बड़ी सामाजिक समस्या के रूप में हमारे सामने आती है।

जिस तरह लोग धार्मिक रीति-रिवाजों और रूढ़ियों की अंधभक्ति में खोये हुये हैं, उसके चलते वेश्यावृत्ति को भी बढ़ावा मिल रहा है। समाज लोगों से ही मिलकर बना है और पहले लोग कहते थे कि इज्जत लडकी का गहना होता है। हालांकि यह सच भी है कि इज्जत महिला का गहना होता है, लेकिन क्या प्रत्येक सामाजिक पुरूष और महिला स्वयं उस गहने को अर्थात इज्जत को उच्च कोटि का पायदान प्रदान करते हैं या अराजकता और छोटी मानसिकता के चलते समाप्त करने पर तुले हुये हैं।

सत्य है कि वेश्यावृत्ति एक सामाजिक समस्या है, जिसे समाप्त करना जरूरी है। जिसे समाप्त करने के लिए सबसे पहले लोगों को अपनी सोच का विकास करने की जरूरत है। यदि रोजगार के साधन उपलब्ध हों (जिसे अनपढ़ और काम से निष्क्रिय लड़कियां भी कर लें) तो भी वेश्यावृत्ति में कमी आयेगी। क्योंकि पेट भरा होगा तो न कोई ‘दलाल’ बनना चाहेगा और न ही कोई ‘रंडी’ कहलाना चाहेगी।
-सम्पादक

हम सभी इस बात को अपने परिवार के लिए लागू करते हैं, लेकिन आखिर यह भावना और मनोदशा तब कहां होती है, जब हम किसी वेश्या के साथ सोते हैं। हम उस महिला की इज्जत उतारने से बिलकुल भी परहेज नहीं करते हैं। यदि वर्तमान परिदृश्य को देखें तो क्या स्वयं के परिवार के अलावा अन्य लड़कियों के परिवार नहीं हैं? क्या वो भी उसी इज्जत की भागीदार नहीं हैं, जो हम अपने स्वयं के परिवार को देते हैं?

हालांकि वेश्यावृति की कई वजहें हैं, लेकिन जिस वजह से यह सबसे ज्यादा फैला है, वह है गरीबी। गरीबी इंसान से कुछ भी करा सकती है। जब गरीबी और पेट के लिए हम किसी का कत्ल कर सकते हैं तो फिर औरतों के पास वेश्यावृत्ति के रुप में यह एक ऐसा साधन है, जिससे वह अपनी आजीविका कमा सकती हैं।

किसी ने सच ही कहा है…
आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है, तभी तो पैसे की तंगी और हवस की भूख से वेश्यावृति का जन्म हुआ है।

Devbhoomi Samachar

देवभूमि समाचार में इंटरनेट के माध्यम से पत्रकार और लेखकों की लेखनी को समाचार के रूप में जनता के सामने प्रकाशित एवं प्रसारित किया जा रहा है।

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