चकबंदी दिवस : 01 मार्च
ओम प्रकाश उनियाल ( स्वतंत्र पत्रकार)
उत्तराखंड में चकबंदी को लेकर चकबंदी आंदोलन के प्रणेता गणेश सिंह नेगी ‘गरीब’ हमेशा ही जागरूक एवं प्रयासरत रहे हैं। सन् 1975 से उनके नेतृत्व में व्यापक स्तर पर प्रचार-प्रसार, आंदोलन को गतिमान बनाए रखना उनका मुख्य ध्येय रहा है। उनके इस समर्पण, निष्ठा और संघर्ष के कारण ही 01 मार्च को 2012 से प्रतिवर्ष ‘चकबंदी दिवस’ मनाया जा रहा है। 01 मार्च उनका जन्मदिन है। उनका आंदोलन ‘गरीब क्रांति अभियान’ के नाम से जाता है।
राज्य बनने से पहले व पृथक राज्य बनने के बाद भी सरकारों की जिस प्रकार से चकबंदी की ढुलमुल नीति रही है उसका परिणामस्वरूप मामला आज भी अधर में लटका हुआ है। चकबंदी का संघर्ष सालों से चला आ रहा है। सरकारी योजनाएं अनेकों बार बनी, जो कि सिमट कर रह गयी। चकबंदी में बिखरी जोतों एवं गोल खातों का आड़े आना बड़ी समस्या है।
चकबंदी के प्रति जागरूकता लाने के लिए सन् 1981 में ‘गरीब’ ने दिल्ली से अपने गांव आकर चकबंदी का पहला मॉडल तैयार किया। क्योंकि इसके बगैर चकबंदी की समझ किसानों को नामुमकिन थी। अपने स्तर से किए गए उनके प्रयोग सफल रहे। सरकारों, विभागों एवं नेतागणों के दरवाजे खटखटाने में भी वे पीछे नहीं रहे।
चकबंदी का मतलब बिखरे खेतों को एकत्रित कर ‘चक’ का रूप देना। जिससे खेती करने में किसान को आसानी रहेगी और अन्य कई तरह के फायदे भी होंगे। पलायन रुकेगा, कृषि के प्रति युवाओं का भी रुझान बढ़ेगा। बंजर भूमि का सदुपयोग तो होगा ही पर्यावरण संरक्षण और संवर्धन भी होगा।
गणेश सिंह ‘गरीब’ का कहना है कि पहाड़ के युवा साधनहीन, विवेकहीन हैं। साधन न होने के कारण पिछड़ रहे हैं। पहाड़ से जिसने भी पलायन किया वह बाहर का ही होकर रह गया। यहां तो उनका आना केवल पर्यटक के तौर पर होता है।
कोरोना काल में काफी पहाड़ के युवा विभिन्न शहरों में रोजगाररत थे वे बेरोजगार हो गए थे। जो कि पहाड़ लौटे। लेकिन खेती की तरफ रुचि बहुत कम ने दिखायी। चकबंदी हुयी होती तो शायद उनका आकर्षण खेती की तरफ होता भी।
उन्होंने कहा कि गांवों की पहचान तभी तो बनेगी या बरकरार रहेगी जब बाहर बसे अपने गांवों को लौटेंगे। अपने पूर्वजों की धरोहर का संरक्षण करना सब पहाड़वासियों का दायित्व बनता है।
¤ प्रकाशन परिचय ¤
From »ओम प्रकाश उनियाललेखक एवं स्वतंत्र पत्रकारAddress »कारगी ग्रांट, देहरादून (उत्तराखण्ड)Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
---|