कार्यस्थल पर आप के साथ कुछ गलत होता है तो चुप न रहें

वीरेंद्र बहादुर सिंह

क्या आप अपने कार्यस्थल पर खुद को सुरक्षित अनुभव करती हैं? आफिस में काम करते समय ऐसे कितने क्षण होते हैं, जब आप असहजता का अनुभव करती हैं? यह असहजता काम के कारण नहीं, आप के साथ काम करने वाले मेल मेम्बर्स की ओर असहज लगे इस तरह का बर्ताव अनुभव हुआ हो, ऐसा कितनी बार हुआ है? स्त्री के रूप में आप बाहर काम करने निकलती हैं तो आप को अक्सर इस तरह की घटनाओं का सामना करना पड़ता है, साथ नौकरी करने वाले पुरुष कलीग से बात करने में अक्सर ऐसा लगता है कि वह आप की आंखों में देख कर बात करने के बजाय शरीर के अन्य हिस्से को देख कर बात कर रहा है। इस तरह का बर्ताव आफिस में लगभग हर स्त्री को अनुभव होता है। इस बात को एक उदाहरण से समझिए।

कृपा को नौकरी की जरुरत थी। उसने दो-तीन लोगों से कह रखा था, जिससे उसे नौकरी मिलने में मदद मिल सके। कुछ दिनों बाद उसके एक परिचित ने फोन किया और वह जहां काम करता था, वहां इंटरव्यू के लिए बुलाया। कृपा को वहां नौकरी मिल गई। वह वहां नौकरी करने लगी। बाद में जिस व्यक्ति ने उसकी नौकरी की सिफारिश की थी, वह उसे बारबार अपने पास बुलाता और बिना मतलब की बातें करता रहता। शुर-शुरू में तो कृपा उसका सम्मान करते हुए जाती रही, पर कुछ दिनों बाद कृपा की अपने डिपार्टमेंट के लोगों से दोस्ती हो गई तो उसने उस व्यक्ति के पास जाना बंद कर दिया। बिना किसी मतलब के किसी दूसरे डिपार्टमेंट में सिर्फ बातें करने जाना उसे अच्छा नहीं लगता था। वहां जाओ और बैठ कर सिर्फ बातें करो तो लोग कुछ अलग ही नजरों से देखने लगते थे। कृपा को यह सब वीअर्ड लगता था। उसने वहां जाना बंद कर दिया तो उस व्यक्ति ने कृपा के डिपार्टमेंट के एक्सटेंशन नंबर पर फोन कर के उसे अपने डिपार्टमेंट में बुलाया। कृपा ने कहा, “शरद जी अभी मेरे पास काम है। इसलिए मैं अभी नहीं आ सकती। कोई अर्जेंट काम हो तो फोन पर ही बता दीजिए।”

शरद ने कहा, “काम तो कुछ नहीं है। बस, मन में आया कि चलो साथ बैठ कर चाय पीते हैं। हम इधर काफी दिनों से मिले भी नहीं हैं। सोचा, इसी बहाने मिल भी लेंगे।” कृपा ने कहा, “फिर कभी जब समय मिलेगा, साथ बैठ कर चाय पी लेंगे।” इस बात को दो दिन बीत गए। दो दिन बाद फिर शरद ने कृपा को फोन कर के अपने डिपार्टमेंट में बुलाया। कृपा ने फिर मना किया तो शरद ने कहा, “कृपा यहां नौकरी मैं ने तुम्हे दिलाई है। तुम मेरा एहसान मानने के बजाय इस तरह मेरी इंसल्ट कर रही हो। तुम्हारी जगह कोई दूसरी लड़की होती तो मेरा यह एहसान कभी न भूलती।”

शरद की यह बात सुन कर कृपा थोड़ी देर के लिए अवाक रह गई। उस समय उसने अपनी गलती तो स्वीकार कर ली, पर वह खुद को इसके लिए दोषी मानने लगी। उसे लगा कि उसकी जरूरत पर काम आने वाले के साथ उसने ठीक नहीं किया। उसने शरद के पास जा कर साॅरी कहा। उस दिन इट्स ओके कहने के लिए अचानक शरद ने उसका हाथ पकड़ लिया। कृपा के लिए यह स्पर्श नार्मल नहीं था। स्त्री के रूप में वह स्पर्श का इरादा समझती थी।

क्या कहते हैं आंकड़े

ऐसी तमाम महिलाएं होंगी, जो कार्यस्थल पर अक्सर मेल मेम्बर्स की ओर से असहज बर्ताव का अनुभव करती होंगी, पर किसी न किसी कारणवश आवाज नहीं उठा पातीं। अनेक भय के कारण स्त्री यौन शोषण या असहज बर्ताव के सामने आवाज नहीं उठा पाती। हमारे देश में 48 प्रतिशत स्त्रियां कार्यस्थल पर यौन शोषण या असहज बर्ताव का शिकार होती हैं। इस 48 प्रतिशत में से 70 प्रतिशत स्त्रियां शोषण के खिलाफ आवाज नहीं उठातीं। कार्यस्थल पर स्त्रियां अगर यौन शोषण का शिकार होती हैं तो इसके लिए हर कार्यस्थल पर एक ऐसी कमेटी बनी होती है, जिसके अंतर्गत स्त्रियां शिकायत दर्ज करा सकती हैं। पर नौकरी करने जाने वाली 46 प्रतिशत स्त्रियों को इसके बारे में जानकरी ही नहीं होती है। तो तमाम महिलाओं की यह शिकायत होती है कि शिकायत करने पर भी पुरुष अपनी पहुंच की वजह से बच जाते हैं और उसके बाद वे स्त्री के लिए और परेशानी खड़ी करते हैं। ऐसे भी तमाम मामले सामने आते हैं, जिसमें स्त्रियां ही शिकार स्त्री का साथ नही देतीं।

डिग्निटी बनाएं

आफिस में सब के साथ मिलजुल कर काम करना जरूरी होता है। रोजाना 8 से 10 घंटे जहां बिताना होता है, वहां का वातावरण मैत्रीपूर्ण होना चाहिए। सभी के साथ मिलजुल कर रहने के साथ-साथ थोड़ा बर्ताव ऐसा भी होना चाहिए कि जिससे आप की डिग्निटी बनी रहे। जिससे कोई आप के साथ गैरवाजिबी या असहज बर्ताव करने में सौ बार सोचे। किस के साथ कैसा बर्ताव करना चाहिए, यह स्त्री अच्छी तरह जानती है। वह हर किसी की नजर भी पहचान सकती है। उसे पता चल जाता है कि कौन कैसा है। कोई अधिक छूटछाट ले, इतना सरल बर्ताव भी न रखें।

शोषण की व्याख्या क्या?

यौन शोषण की बात करें तो शोषण यानी कि मात्र किसी तरह का शारीरिक स्पर्श ही नहीं, छेड़छाड़ या रेप ही नहीं, यहां शोषण में शाब्दिक शोषण, गैरवाजिबी कमेंट, गलत नजर से देखते रहना, मना करने के बावजूद किसी चीज के लिए बारबार ऑफर करना, मैसेज करना या फोन करना आदि भी शामिल है। अगर पुरुष स्त्री को अच्छा लगता है तो भी उपर्युक्त कोई बर्ताव करता रहे, स्त्री एक-दो बार टोंके, इसके बावजूद वैसा करता रहे तो पुरुष शोषण के अंतर्गत दोषी माना जाएगा।

बोलने से मत डरें

आफिस में होने वाले छेड़छाड़ के लिए बने कानून का दुरुपयोग न करें, किसी के साथ पर्सनल ग्रजीस के कारण उसके ऊपर गलत आरोप न लगाएं, पर जो आप के साथ सचमुच छेड़छाड़ करता हो तो आप उसके खिलाफ सचमुच में आवाज उठा सकती हैं। अगर कुछ गलत हुआ है तो उसके खिलाफ आवाज उठाने का आप को पूरा हक है। याद रखिए, अगर इस तरह की शिकायत करती हैं तो नरम हो कर इस तरह की शिकायत न करें, मजबूत हो कर शिकायत करें, जिससे कमेटी को भी पता चले कि आप अपने हक के प्रति जाग्रत हैं। शिकायत करने के बाद अगर निर्णय आने में देर हो रही है तो उस दौरान जिसने छेड़छाड़ की है, उसके साथ काम करने के बजाय दूसरे डिपार्टमेंट में काम करने की मांग करें। कानून के हिसाब से यह भी आप का अधिकार है। याद रखिए, जरूरत मात्र आवाज उठाने की होती है। अगर आप सही हैं तो आप को न्याय अवश्य मिलेगा।


¤  प्रकाशन परिचय  ¤

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वीरेंद्र बहादुर सिंह

लेखक एवं कवि

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देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड)

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