हर्षोल्लास से मनाया लोकदेवता बाबा रामदेव का जन्मोत्सव
हर्षोल्लास से मनाया लोकदेवता बाबा रामदेव का जन्मोत्सव, इनकी माता का नाम मैणादे था। देश विदेश तक इन्हें श्रद्धा एवं भक्ति भाव के साथ पूजा जाता है। कहते हैं कि इनके दर्शन तथा स्मरण करने मात्र से जीवन में व्याप्त कष्टों का नाश हो जाता है। जैसलमेर जिले के रामदेवरा तीर्थ में इनका भव्य मंदिर बना हुआ है।
जोधपुर। जोधपुर शहर में लोक देवता बाबा रामदेव का जन्मोत्सव भाद्रपद शुक्ल द्वितीया को भक्ति भाव के साथ श्रद्धापूर्वक मनाया गया। अल सुबह मसूरिया में रामदेव के गुरु बालीनाथ की समाधि स्थल पर पंचामृत अभिषेक के बाद सुबह 4:15 बजे महाआरती की गई जिसमें भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा। इस अवसर पर समाधि स्थल पर विशेष श्रृंगार किया गया। बाबा रामदेवजी के भक्तों ने अपने घरों में भी पूजा अर्चना कर व्रत रखा। शहर के अन्य बाबा रामदेवजी के मन्दिरों भर भी भक्ति भाव के कार्यक्रम आयोजित किए गए।
साहित्यकार सुनील कुमार माथुर ने बताया कि मसूरिया स्थित बाबा मन्दिर में तड़के होने वाली महाआरती दर्शन के लिए देर रात से ही श्रद्धालुओं की कतार शुरू हो गई। सुबह जैसे ही महाआरती शुरू हुई भक्तों ने जैकारे लगाने शुरू कर दिए। इस दौरान पूरा मसूरिया क्षेत्र बाबा के जैकारों से गूंज उठा। मेले में आने वाले जातरू हाथों में रंगबिरंगी ध्वजा लिए जयघोष करते हुए मसूरिया मंदिर में उमड़ते हुए दिखाई दिए। मन्दिर के चप्पे चप्पे पर पुलिस तैनात थी।
मंदिर के प्रवेश द्वार से मुख्य समाधि स्थल मंदिर तक पहुंचने के लिए स्थाई बेरिकेडिंग्स की गई। इसके चलते जातरूओं को दर्शन में आसानी रही। मंदिर परिसर में जगह जगह पर सुरक्षा को लिहाज से सीसी टीवी कैमरे लगे दिखाई दिए। आरती खत्म होने के बाद भी श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए मुख्य प्रवेश द्वार के बाहर महिलाओं व पुरुषों के लिए सिंगल लाइन व्यवस्था रही। दर्शन के लिए करीब एक किलोमीटर लंबी अलग अलग सिंगल लाइनें लगने के बावजूद दर्शनार्थियों ने आसानी से दर्शन किए। समाधि स्थल पर महाआरती को लेकर विशेष श्रृंगार किया गया।
मेले को देखते हुए पूरे मंदिर परिसर को रंग-बिरंगी रोशनी से सजाया गया। मंदिर संचालन कमेटी की ओर से सुरक्षा को देखते हुए 50 से अधिक सीसीटीवी कैमरे लगाने के साथ दर्शनार्थियों की सुविधा के पूरे इंतजाम किए गए। मंदिर में जातरुओं के दर्शन के लिए उचित व्यवस्था की गई हैं ऑनलाइन दर्शन की भी व्यवस्था की गई है।
मंदिर ट्रस्ट के पधाधिकारी सहित मंदिर परिवार के लोग भी महाआरती में शामिल हुए। माथुर ने बताया कि जातरुओं सुरक्षा के लिए पुलिस प्रशासन, स्वयंसेवक, एनसीसी कैडेट और स्काउट गाइड भी सेवाएं दे रहे हैं। बारिश होने की स्थिति में मंदिर परिसर में तीन सेट भी लगाया गया जिससे दर्शनार्थियों को परेशानी नहीं हो। रामदेवरा पैदल नहीं जाने वाले लोग भी बाबा की बीज के अवसर पर अपने घरों से पैदल मसूरिया गुरु बालीनाथ नाथ की समाधि स्थल तक पहुंचे।
इसमें बच्चों से लेकर बड़े भी शामिल रहे। सभी ने उत्साहपूर्वक बाबा के मंदिर में दर्शन कर खुशहाली की कामना की। बच्चों, महिलाओं में भी बीज के अवसर पर बाबा के दर्शन को लेकर उत्साह नजर आया। मंदिर में रविवार सुबह 11 बजे ध्वजारोहण किया गया। बैण्डबाजों के साथ ध्वजा की पहले पूजा अर्चना की गई। उसके बाद ध्वजा को मन्दिर शिखर पर फहराया गया। इस दौरान बाबा के जैकारौं से माहौल बाबा के रंग में सराबोर हो उठा। प्रशासन के आदेश अनुसार बीज के दिन किसी भी जातरू को घोड़ा और बड़ी ध्वजा ले जाने पर पूरी तरह से रोक रही।
मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष नरेंद्र चौहान ने बताया कि मसूरिया बाबा के मन्दिर पर आज एक ही दिन में करीब एक लाख जातरुओं न दर्शन लाभ लिया। रविवार का अवकाश होने से शहरी लोगों की भी भीड़ बनी रही। शहर में करीब पांच दर्जन से अधिक स्थानों पर जातरुओं के लिए लंगर लगाए गए हैं। जहां पर चाय पानी के साथ भोजन तथा चिकित्सा व्यवस्था की गई है। गौरतलब हैं कि बाबा रामदेवजी को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है। इनका अवतरण के 1409 ई में हिन्दू कैलेंडर के मुताबिक भादवे की बीज (भाद्रपद शुक्ल द्वित्या) के दिन उडू काश्मीर के शासक अजमल जी के घर में हुआ था।
इनकी माता का नाम मैणादे था। देश विदेश तक इन्हें श्रद्धा एवं भक्ति भाव के साथ पूजा जाता है। कहते हैं कि इनके दर्शन तथा स्मरण करने मात्र से जीवन में व्याप्त कष्टों का नाश हो जाता है। जैसलमेर जिले के रामदेवरा तीर्थ में इनका भव्य मंदिर बना हुआ है। हर वर्ष असंख्य लोग इनके मन्दिर पर दर्शन के लिए आते हैं। इनके गुरु बालीनाथजी ने जोधपुर में मसूरिया क्षेत्र में जीवित समाधि ली थी। उनके समाधि स्थल पर भव्य मंदिर बना हुआ है। कहते हैं कि बाबा के दर्शनार्थ आने वाले भक्त की यात्रा तभी सफल मानी जाती है जब पहले गुरु के मन्दिर पर दर्शन कर ले। इसलिए रामदेवरा जाने से पूर्व जातरू मसूरिया बाबा के मन्दिर पर पहुंचता है।
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