***
फीचर

कला एक साधना

सुनील कुमार माथुर

हर व्यक्ति में कोई न कोई प्रतिभा अवश्य होती हैं बष जरूरत है तो उसे पहनने की और प्रोत्साहन देने की । चूंकि कला एक साधना है । जिस तरह से हम ईश्वर की नियमित रूप से आराधना करते हैं ठीक उसी प्रकार से अपनी प्रतिभा , हुनर व कला को भी निखारना चाहिए । अगर आपके जीवन में कुछ नया करने की इच्छा हैं । मन में समाज को कुछ नया कर दिखाने की तमन्ना हैं तो निश्चित रूप से अपनी कला को आकार दीजिए । आपकों सफलता अवश्य ही मिलेगी । जीवन में उतार चढाव तो आते ही रहते हैं लेकिन हमें इनसे घबराना नहीं चाहिए अपितु और अधिक आत्मविश्वास के साथ आगें बढना चाहिए और अपनी मंजिल को हासिल कीजिए ।

किसी भी कलाकार को अपनी कला का दम नहीं घोटना चाहिए । हमारी कला ही हमें आगें की मंजिल तक ले जायेगी जिसमें कई उतार-चढ़ाव व बाधाएं आती हैं । आलोचनाएं व प्रशंसा होती हैं और अनेक बार प्रोत्साहन और विरोध घर से ही आरंभ होता है । लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम अपने हुनर , कला , साधना को बीच राह में ही छोड दे ।

जब हम परेशानी में होते हैं तब ईश्वर के नाम का स्मरण कर मन को शान्त करने का प्रयास करते हैं लेकिन जब अपनी कला , साधना, हुनर का दम घोटा जाता हैं तब जो मन में पीडा होती हैं वह एक भुगतभोगी ही जानता हैं । बाहरी पीडा तो सबकों दिखाई देती हैं लेकिन मन की पीडा किसी को दिखाई नहीं देती हैं । मगर हमें अपने प्रयास जारी रखने चाहिए ।

जब भी समय मिलें तब अपनी कला को आगें उडान भरने के लिए पंख दीजिए ताकि वो ऊंचाईयों को छू सकें और परिवार, समाज, राष्ट्र व विश्व में अपनी पहचान बना सकें । हर व्यक्ति में हुनर छिपा हैं लेकिन पर्याप्त प्रोत्साहन के अभाव में व नाना प्रकार की मजबूरियों के चलते वे सबके सामने लाने से कतराते हैं जो उचित नहीं है ।

साहित्यकारों , पत्रकारों व इलेक्ट्रानिक मीडिया कर्मियों को चाहिए कि वे प्रतिभाओं को साक्षात्कार व आलेखों के जरिये आगे लायें और उनके हुनर , कला व प्रतिभा को मयचित्र जन – जन तक पहुंचाएं ताकि इन प्रतिभाओं की अपनी अलग पहचान बन सकें । हमारा समाज एक ऐसा समाज हैं जहां कदम – कदम पर टांग खिंचने वालों की कोई कमी नहीं है । उनका एकमात्र लक्ष्य प्रतिभाओ को हतोत्साहित करना ही होता हैं । लेकिन आप इस ओर तनिक भी ध्यान न दे और सकारात्मक सोच के साथ आगें बढें । आपकों अपनी मंजिल अवश्य ही मिलेंगी ।

हुनर , कला , साधना व प्रतिभा हमेशा मन में हिरण की तरह कुचाले भरती है । बस आप तो जो मन में हैं वह कर डालिएं । कारवां स्वतः ही जुडता ( प्रशंसक ) जायेगा । आपके मन में जिस हुनर का पौधा उग रहा हैं उसे खाद – पानी ( समय ) देकर वटवृक्ष का रूप दीजिए अर्थात अपनी कला को निखारिएं।


¤  प्रकाशन परिचय  ¤

Devbhoomi
From »

सुनील कुमार माथुर

लेखक एवं कवि

Address »
33, वर्धमान नगर, शोभावतो की ढाणी, खेमे का कुआ, पालरोड, जोधपुर (राजस्थान)

Publisher »
देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड)

Devbhoomi Samachar

देवभूमि समाचार में इंटरनेट के माध्यम से पत्रकार और लेखकों की लेखनी को समाचार के रूप में जनता के सामने प्रकाशित एवं प्रसारित किया जा रहा है।

Related Articles

4 Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
Verified by MonsterInsights