जीवन में संयम, धैर्य व आत्मविश्वास की नितान्त आवश्यकता

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सुनील कुमार माथुर

आज की इस भागदौड़ भरी जिन्दगी में इंसान मशीनरी जीवन व्यतीत कर रहा हैं । वह दिन – रात पैसे के पीछे दौड रहा हैं चूंकि उसके पास कितना भी धन क्यों न आ जायें उसे वह कम ही लगता हैं चूंकि इंसान की लालसा कभी भी खत्म नहीं होती है । कभी भी पूरी नहीं होती हैं । एक इच्छा की पूर्ति पूरी भी नहीं हो पाती हैं कि उसकी दूसरी इच्छा जागृत हो जाती हैं ।

अतः इंसान को जितना मिला हैं उसी में उसे संतोष करना चाहिए । आप जितनी इच्छाएं करेंगे उतना ही आपकों दुखों से गुजरना पडेगा चूंकि आपके पास जितना धन हैं उससे एक साथ सभी इच्छाओं की पूर्ति पूरी नहीं की जा सकती हैं तो क्यों इतनी इच्छाओं को पाल रखा हैं । जीवन में हमेशा सकारात्मक सोच रखें व सही समय पर सही सामग्री खरीदकर आनंद लीजिए ।

आदर्श जीवन व्यतीत करने के लिए मनुष्य में संयम , धैर्य व आत्मविश्वास का होना नितान्त जरूरी है । हमेशा अनावश्यक इच्छाओं को मन में स्थान न दें । दूसरों की देखादेखी न करें । अपनी तुलना कभी भी किसी से न करें चूंकि इससे मन में हिन भावना पनपती हैं जो हमें अशान्त करती हैं और हमारे मन व मस्तिष्क में क्रोध के भाव जागृत करतें है । अतः हमेशा अच्छा बोले व अच्छा सोचें और अच्छा भोजन करें ।

वहीं दूसरी ओर आप दूसरों की बात को भी ध्यान पूर्वक सुनें मांगने पर उन्हें सही राय दें । अति आवश्यक हो तो फिर संयम और आत्मविश्वास के साथ सटीक उतर दीजिए । आदर्श जीवन व्यतीत करने के लिए हमेशा मानवतावादी दृष्टिकोण रखें और चाहें आप दुःख की स्थिति में हो या सुख की स्थिति में । हर परिस्थिति में विनम्रता व संयम बनाये रखें

हमारे संतों व महापुरुषों का कहना हैं कि नम्रता व विनम्रता से बात करना , हर एक का आदर करना चाहें वह हमारे से छोटा हो या बडा , सभी का शुक्रिया अदा करना व गलती होने पर माफी मांगना जिनके पास ये गुण है वो सदैव सबके करीब रहता हैं और सभी के लिए खास होता हैं । अतः मनुष्य को जीवन में मन की संतुष्टि के लिए सदैव अच्छे सद् कर्म करते रहना चाहिए । कोई हमारी तारीफ या प्रशंसा करें या न करें लेकिन हमें अपने सद् कर्म करते रहना चाहिए । किसी ने कहा भी हैं कि यह दुनियां बडी निराली हैं कमियां तो लोग भगवान में भी तलाशते रह्ते है ।

हमें यह मानव जीवन प्रभु का दिया हुआ एक अनोखा उपहार है और जिसने जीवन को सही ढंग से जीना सीख लिया हैं समझों उसने जीवन को सही ढंग से जीने की कला को सीख लिया हैं । यह मानव जीवन तो एक माटी का पुतला हैं न जानें कब टूट जायें । अतः हमेशा अच्छा बोले व अच्छा सोचें । ऐसा कार्य करों की लोग हमारे मर जानें के बाद भी हमें स्मरण करें । मरने पर इस नश्वर संसार से व्यक्ति जाता हैं उसका व्यक्तित्व नहीं । अतः अपनें कार्य के प्रति निष्ठावान व गंभीर रहें और अपने आदर्श व्यक्तित्व को सदैव बनाए रखें ।

समाज में सेवाभावी लोगों की कोई कमी नहीं है एक ढूंढो तो हजार मिलते हैं कि कहावत को वे चरितार्थ करते हैं । छब्बीस सितम्बर 2021 को होने वाली रीट परीक्षा को ध्यान में रखते हुए विभिन्न समाज के लोगों ने अपनी अपनी जिम्मेदारी को समझा और बाहर से आने वाले अभ्यर्थियों व प्रतिभागियों के लिए अपने-अपने समाज के भवनों में आवास , भोजन , अल्पाहार की निःशुल्क व्यवस्था कर एक सराहनीय पहल आरम्भ की हैं जिसकी सर्वत्र सराहना की जा रही हैं ।

इन समाजों में कायस्थ , रावणा राजपूत , राजपूत , सिंधी , जांगिड , प्रजापत , माहेश्वरी , सैन , जीनगर समाज सहित अन्य समाज के बंधुओं ने पहल कर एक वंदनीय कार्य किया जिसके लिए वे साधुवाद के पात्र है ।

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