एक सवाल फेसबुक साहित्यिक मंच संचालकों से

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एक सवाल फेसबुक साहित्यिक मंच संचालकों से, जहां तक मेरी जानकारी है वर्तमान में फेसबुक पटलों पर सक्रिय सभी साहित्यिक मंचों ने अपनी मंच स्थापना का उद्देश्य हिंदी साहित्य का प्रचार-प्रसार रखा है। #सुनील कुमार, बहराइच (उत्तर प्रदेश)

प्रिय रचनाकार साथियों, सादर अभिवादन…. साथियों बहुत दिनों से मेरे मन में एक प्रश्न उठ रहा था जो आज आप सभी के समक्ष रख रहा हूं और आप सभी के विचार जानना चाहता हूं। जैसे कि आप सभी को विदित है करोनाकाल के दौरान जब जमीनी साहित्यिक गतिविधियां बिल्कुल थम सी गई थी उस दौरान कतिपय साहित्य अनुरागियों द्वारा साहित्यिक गतिविधियों को गतिमान रखने के लिए फेसबुक साहित्यिक मंचों की स्थापना की गई तथा आनलाइन साहित्यिक गतिविधियों को गति प्रदान की गई।

इन फेसबुक पटलों ने साहित्य में रुचि रखने वाले बहुत से वरिष्ठ व नवोदित रचनाकारों को संजीवनी प्रदान की गई। प्रारंभ में इन पटलों पर दैनिक लेखन प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया, इसके अंतर्गत प्रतिदिन विभिन्न विषयों पर रचनाएं आमंत्रित की जाती थी रचनाकार आनलाइन अपनी रचनाएं भेजते और एडमिन समूह द्वारा उन रचनाओं का मूल्यांकन कर रचनाकारों को ऑनलाइन प्रमाण पत्र प्रदान कर प्रोत्साहित किया जाता था।

कोरोना काल के दौरान फेसबुक पटलों पर किया गया यह नवाचार साहित्यिक रुचि रखने वाले व्यक्तियों के लिए बहुत ही लाभकारी सिद्ध हुआ। फेसबुक साहित्यिक पटलों द्वारा आयोजित ऑनलाइन प्रतियोगिताओं के द्वारा बहुत से नवोदित रचनाकारों की कलम को धार मिली। नवोदित रचनाकारों को एक नई पहचान मिली। शुरुआती दौर में तो इन पटलों पर केवल लेखन प्रतियोगिताएं आयोजित की जा रही थी पर बाद में इन्हीं पटलों द्वारा ऑनलाइन कवि सम्मेलनों का भी शुभारंभ किया गया जो कि काफी प्रभावी रहा।

वर्तमान में फेसबुक पटलों द्वारा संचालित साहित्यिक समूहों की संख्या हजारों में है इन पटलों द्वारा प्रतिदिन लेखन प्रतियोगिताओं के साथ-साथ अवसर विशेष सम्बन्धी लेखन प्रतियोगिताओं के साथ साथ ऑनलाइन कवि सम्मेलनों को आयोजन निरंतर जारी है। कोरोना काल के दौरान फेसबुक पटलों द्वारा किया गया यह नवाचार आनलाइन लेखन प्रतियोगिताओं व कवि सम्मेलनों का दायरा बहुत व्यापक हो गया है। वर्तमान में किसी किसी फेसबुक पटल पर जुड़े रचनाकारों की संख्या हजारों- लाखों में है।

अब इन पटलों द्वारा एक नया ट्रेड शुरू किया गया है,पटल पर सक्रिय रचनाकारों के सहयोग से साझा है संग्रहों के प्रकाशन की प्रक्रिया। फेसबुक पटलों पर दैनिक लेखन प्रतियोगिताओं अथवा अवसर विशेष पर आयोजित प्रतियोगिताओं में प्रतिभाग करने वाले रचनाकारों में से चुनिंदा रचनाकारों की रचनाओं को साझा संग्रह के रूप में प्रकाशित किया जा रहा है। प्रायः देखने में आता है कि जब किसी फेसबुक पटल पर दैनिक अथवा अवसर विशेष पर लेखन प्रतियोगिता आयोजित की जाती है तो रचनाकार के लिए शर्त रखी जाती है कि उसकी रचना स्वरचित-मौलिक अप्रकाशित तथा अप्रसारित हो अर्थात प्रतियोगिता में भेजी जाने वाली रचना किसी अन्य फेसबुक पटल अथवा पत्र-पत्रिका में प्रकाशित न हुई हो।


किसी प्रतियोगिता में प्रतिभागिता के लिए भेजी जाने वाली रचना के लिए स्वरचित व मौलिक होने की शर्त तो समझ में आती है लेकिन रचना का किसी अन्य पटल अथवा पत्र-पत्रिका में प्रकाशित-प्रसारित होने की शर्त समझ से परे है। इस संबंध में फेसबुक साहित्यिक मंच संचालकों तथा देश के सभी वरिष्ठ व नवोदित रचनाकारों से मेरा प्रश्न है-

  • क्या किसी फेसबुक पटल या पत्र-पत्रिका में किसी रचना के एक बार प्रकाशित होने के बाद उस रचना का अस्तित्व समाप्त हो जाता है ?
  • क्या किसी फेसबुक पटल अथवा पत्र-पत्रिका में एक बार प्रकाशित होने के बाद उस रचना की उपादेयता समाप्त हो जाती है ?


जहां तक मेरी समझ है किसी रचना / लेख की सार्थकता तभी है जब वह अधिक से अधिक पाठकों तक पहुंचे। कोई रचना जितने अधिक फेसबुक पटलों अथवा पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होगी उसकी पहुंच उतने ही अधिक पाठकों तक होगी,उस रचना का सार संदेश उतने ही अधिक पाठकों तक पहुंचेगा। मेरी समझ से किसी भी लेखन प्रतियोगिता में प्रतिभागिता के लिए रचना का स्वरचित मौलिक होने की अनिवार्यतः होनी चाहिए परन्तु रचना को पूर्व में प्रकाशित व प्रसारित होने की बाध्यता से मुक्त रखना चाहिए।


जहां तक मेरी जानकारी है वर्तमान में फेसबुक पटलों पर सक्रिय सभी साहित्यिक मंचों ने अपनी मंच स्थापना का उद्देश्य हिंदी साहित्य का प्रचार-प्रसार रखा है। फिर लेखन प्रतियोगिताओं में इस तरह का नियम बनाकर क्यों रचनाओं का दमन किया जाता है। क्यों यह शर्त रखी जाती हैं कि किसी अन्य फेसबुक पटल अथवा पत्र-पत्रिका में प्रकाशित रचना प्रतियोगिता में शामिल नहीं की जाएगी। इस तरह की नियमावली बनाकर फेसबुक साहित्यिक मंच साहित्य के प्रसार के बजाय उसके दमन का कार्य करते हैं।


निष्कर्ष रूप में मुझे बस इतना कहना है कि किसी भी फेसबुक साहित्यिक मंच द्वारा कोई भी लेखन प्रतियोगिता आयोजित की जाए तो उसमें मात्र रचनाओं के स्वरचित-मौलिक होने की अनिवार्यतः रखी जाए न की रचनाओं के पूर्व में अप्रकाशित व अप्रसारित होने की। क्योंकि किसी भी रचना की सार्थकता तभी है जब उसकी पहुंच अधिक से अधिक पाठकों तक हो और ऐसा तभी संभव होगा जब किसी रचनाकार की रचना अधिक से अधिक फेसबुक पटलों ,पत्र-पत्रिकाओं व साझा संग्रहों में स्थान पाएंगी। उपरोक्त के संबंध में आप सभी महानुभावों के विचार सादर आमंत्रित हैं।

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एक सवाल फेसबुक साहित्यिक मंच संचालकों से, जहां तक मेरी जानकारी है वर्तमान में फेसबुक पटलों पर सक्रिय सभी साहित्यिक मंचों ने अपनी मंच स्थापना का उद्देश्य हिंदी साहित्य का प्रचार-प्रसार रखा है। #सुनील कुमार, बहराइच (उत्तर प्रदेश)

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