रिश्तों में मिठास बढ़ाने वाला पर्व मकर संक्रान्ति

इस दिन मंदिरों ठाकुर जी के तिल के व्यंजनों का भोग लगाया जाता है। वहीं महिलाएं इस दिन परम्परागत रूप से तिल से बनें व्यंजनों एवं तेरुंडे का दान करती हैं। सूर्य के संक्रमणकाल निमित्त दिन भर दान पुण्य का सिलसिला जारी रहता हैं। सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के साथ ही मलमास समाप्त हो जाता हैं और गत एक माह से रुके मांगलिक व शुभ कार्य आरम्भ हो जाते हैं। #सुनील कुमार माथुर, जोधपुर (राजस्थान)
भारत कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक एक हैं। यहां विभिन्न जातियों और धर्मों के लोग एक साथ रहते हैं और अपने अपने धर्मों के अनुसार तीज त्यौहार और पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। लोग एक दूसरे के पर्व व त्योहार में भाग लेकर कौमी एकता का परिचय देते है। यही वजह है कि भारत में विविधता में भी एकता का नजारा देखने को मिलता हैं।
भारत में हर वर्ष जनवरी में 14 जनवरी को मकर संक्रान्ति का पर्व मनाया जाता है लेकिन कभी कभी 15 जनवरी को भी मनाया जाता है। इस दिन मंदिरों ठाकुर जी के तिल के व्यंजनों का भोग लगाया जाता है। वहीं महिलाएं इस दिन परम्परागत रूप से तिल से बनें व्यंजनों एवं तेरुंडे का दान करती हैं। सूर्य के संक्रमणकाल निमित्त दिन भर दान पुण्य का सिलसिला जारी रहता हैं।
सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के साथ ही मलमास समाप्त हो जाता हैं और गत एक माह से रुके मांगलिक व शुभ कार्य आरम्भ हो जाते हैं। मकर संक्रान्ति पर दिन भर जगह जगह दान पुण्य किया जाता हैं। शहर के धार्मिक स्थानों के बाहर, गौशालाओं, कुष्ठ आश्रमों में श्रद्धालुओं द्वारा दान पुण्य किया जाता है।
मकर संक्रान्ति पर अधिकांश घरों में एक सा मीनू होता हैं। दाल के पकौड़े, खीच के साथ तिल के लड्डू, गजक का सेवन किया जाता हैं। रिश्तों के मिठास के पर्व पर विवाहित पुत्रियों के ससुराल में घेवर फीणी एवं तिल से बने व्यंजनों के साथ उपहार आदि भेजने की परम्परा का निर्वहन किया जाता हैं।
रिश्तों में स्नेह और मधुरता बढाने वाले इस पर्व पर बहुएं सास को सुहाग से जुड़ी सामग्री भेंट कर सुख समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त करती हैं। सुहागिन महिलाएं अपने सामर्थ्य के अनुसार एक जैसी तेरह तरह की वस्तुएं तेरुंडे को अपने परिचित एवं निकटतम रिश्तेदारों को भेंट करते हैं।
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