बिहार : जनता की खुशहाली और राजनीति
नरेन्द्र मोदी भी मानते हैं नीतीश कुमार और जदयू के अन्य नेताओं का लोहा
नीतीश कुमार लालू प्रसाद और उनकी संकीर्ण राजनीति की चपेट में आने से बिहार को बचाने के लिए सदैव अनथक यत्न करते रहेंगे। हमें पूरा विश्वास है। नीतीश कुमार ने व्यक्तिगत रूप से राजनीति में रुपए पैसे बनाने के उपक्रम से खुद को अलग रखा और अपने गांव कल्याण बीघा और स्थानीय शहर बख्तियारपुर में इनका पैतृक घर साधारण आदमी का घर जैसा लगता है। #राजीव कुमार झा
नरेंद्र मोदी सत्ता में आने के बाद भ्रष्टाचार से संघर्ष कर रहे हैं और यह सब तभी संभव है जब भ्रष्टाचार से हम सब खुद को अलग थलग करके देश में अच्छा माहौल बनाएं। सबका साथ सबका विकास नरेंद्र मोदी का नारा सभी दलों के लिए प्रासंगिक है। देश के पूर्व रेलमंत्री के तौर पर लालू प्रसाद के द्वारा अवैध धनार्जन मामले में राबड़ी देवी पर भी कानूनी कार्रवाई शुरू हुई है।
रामविलास पासवान के गुजरते ही चिराग पासवान को उनके अपने ही लोग पागल बनाने में जुट गये और आज लोकतांत्रिक जनता पार्टी भी चिराग पासवान के हाथ से निकल गयी। नयी पीढ़ी के नेता खुद को बहुत होशियार समझते हैं और हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि दो बार तेजस्वी यादव को नीतीश कुमार की कृपा से ही मुख्यमंत्री बनने का अवसर मिला। यादव भाई आज भी लालू प्रसाद के दीवाने हैं लेकिन अब मुसलमानों के साथ रहना उन्हें भी गवारा नहीं हो रहा।
अयोध्या में राममंदिर की स्थापना का जश्न यादवों ने भी मनाया। गांव ज्वार में इस दौरान रामधूनी में वे तन्मय रहे और अब कृष्ण जन्मभूमि की मुक्ति लड़ाई में उनकी सबसे बड़ी भूमिका होगी। यादवों ने रामचरितमानस का अखंडपाठ किया। यादव देश का विकास चाहते हैं। उनके पास लालू प्रसाद जैसे करिश्माई नेता हैं और सोशल मीडिया पर तेज प्रताप यादव ने इसकी याद दिलाई है और राजनीति में सम्राट चौधरी का कद पूछा है।
सबसे अच्छी स्थिति में फिर जदयू को कहा जा सकता है और भाजपा के सहारे उनका लोकसभा चुनाव में बेड़ा पार हो जाएगा। इस पार्टी ने मंदिर मस्जिद की राजनीति से खुद को अलग रखा और इसके नेतागण बिहार के नवनिर्माण में जुटे रहे। इनकी लंबी साधना से आज बिहार की व्यवस्था पटरी पर आई है। इनका लोहा नरेन्द्र मोदी भी मानते हैं। संभव है बिहार में भाजपा नेतृत्व की सरकार भी आगामी विधानसभा चुनावों के बाद यहां में गठित हो।
नीतीश कुमार लालू प्रसाद और उनकी संकीर्ण राजनीति की चपेट में आने से बिहार को बचाने के लिए सदैव अनथक यत्न करते रहेंगे। हमें पूरा विश्वास है। नीतीश कुमार ने व्यक्तिगत रूप से राजनीति में रुपए पैसे बनाने के उपक्रम से खुद को अलग रखा और अपने गांव कल्याण बीघा और स्थानीय शहर बख्तियारपुर में इनका पैतृक घर साधारण आदमी का घर जैसा लगता है। लालू प्रसाद इस मामले में झूठे आदमी माने जा सकते हैं और पटना में उन्होंने पता नहीं कहां से खूब पैसा लाकर बहुत बड़ा माल बनाने की कोशिश की।
इस तरह से पार्टी का पैसा व्यक्तिगत धन के लिए खर्च करना अनुचित कहा जा सकता है। मुझे उनके इन कामों में पैसों के स्रोत का पता नहीं है लेकिन यह पता चला है कि अपने इलाके के गरीब लोगों से रुपये लेकर और उनकी जमीन लिखवाकर उन्होंने कांग्रेस के शासन काल में रेलमंत्री के रूप में काफी पैसा कमाया। आजकल ज्यादातर नेताओं का यही सब काम हो गया है और इनसे जनता ईमानदारी की आशा करती है। आप कोई भी काम कीजिए लेकिन जनता को कभी मत लूटिए क्योंकि वह गरीब है और आपसे सच्चरित्रता की आशा करती है।