आपकी छवि ही आपके व्यक्तित्व की पहचान

सुनील कुमार माथुर
आज हम अपने आप को एक सभ्य समाज का सभ्य नागरिक कहते है लेकिन फिर भी अनेक बार हम अपनी जिम्मेदारियों से विमुख हो जाते है जो उचित बात नही हैं । हम जिम्मेदारियों को पूरी ईमानदारी और निष्ठा के साथ निभाये इस बात का पूरा ध्यान रखे।
जिस तरह से सीमा पर जवान और खेत में किसान सर्दी , गर्मी और वर्षा के मौसम में भी अपनी जिम्मेदारियों को निभा कर राष्ट्र की निस्वार्थ भाव से सेवा कर रहे है तो फिर हम अपने कर्तव्य और जिम्मेदारियों से विमुख क्यों हो । जो जीवन में जितनी ईमानदारी व निष्ठा से कार्य करता हैं वही अपने लक्ष्यों को हासिल कर पाता हैं।
इसी के साथ ही साथ व्यक्ति को अपनी छवि को बनाये रखना चाहिए। आपकी छवि ही आपके व्यक्तित्व की असली पहचान है । याद रखिए कि आदर्श जीवन जीना भी एक कला है और जिसने इस कला को सीख लिया समझों उसका जीवन सफल हो गया।
हमें परिस्थितियों को समझना चाहिए और फिर आगे बढना चाहिए । कभी भी किसी अजनबी पर विश्वास नहीं करें । वहीं दूसरी ओर प्रभावशाली व्यक्तियों से सदैव मधुर संबंध बनायें रखना चाहिए चूंकि उनके साथ बनाए गए संबंध हमारे लिए काफी लाभदायक सिध्द होगे । बस वाणी पर नियंत्रण बनाए रखें और नम्र बने । अपने ऊपर नकारात्मक सोच को हावी न होने दे।
जब हमें यह मानव जीवन मिला है तो खुलकर जीवन का आनंद लीजिए और अपने हुनर को निखारिये । अपने निजी जीवन में दूसरों की राय लेने से बचे । समाज में सबके साथ घुल-मिल कर रहे और सामाजिक व धार्मिक कार्य में समय – समय पर भाग ले और सभी के साथ अपने संबंधों को प्रगाढ़ बनाए।
यह जीवन तो क्षण भंगुर है । न जाने कब उस परमसत्ता का बुलावा आ जायें । इसलिए जहां तक संभव हो अपने जीवन काल में ही दान – पुण्य व नेक कार्य कर लिजिए । यह जीवन तो मिट्टी के ढेले के समान है न जाने कब टीला लग जायें और यह जीवन लुडक जायें । जीवन जीने का आनंद तभी है जब हम सब साथ- साथ हो।
जीवन में आप कोई भी ऐसा कार्य न करे जिसकी वजह से दूसरों की आंखों में आंसू आ जाये । जब भी किसी के साथ बात करें तब प्रेम से बोले , मीठा बोले व सबके मन में प्रशंसा का भाव भर दे , ऐसा कृत्य करें । रुलाने वालें तो जीवन में अनेक मिल जाते है लेकिन रोते हुए के आंसू पूछने वाले कम ही मिलते हैं अतः जीवन में ऐसा कोई भी कार्य न करे कि आपकी वजह से दूसरों की भावनाओं को ठेस पहुंचे।
जीवन में उतार चढाव तो आते ही रहते हैं । जो जीवन की कठिनाइयों को सरलता पूर्वक पार कर लें , वे ही जीवन में सफल होते है। जहां प्रेम , स्नेह , दया , करूणा व वात्सल्य का भाव हैं वही स्वर्ग है । कभी भी किसी पर बोझ न बनें । अपितु बोझ कम करने में सहायक बनें । यह तभी संभव हो सकेगा सकारात्मक होगी । ईश्वर उन्हीं पर कृपा करते हैं जो दूसरों की निस्वार्थ भाव से सेवा करते हैं।
¤ प्रकाशन परिचय ¤
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From »सुनील कुमार माथुरस्वतंत्र लेखक व पत्रकारAddress »33, वर्धमान नगर, शोभावतो की ढाणी, खेमे का कुआ, पालरोड, जोधपुर (राजस्थान)Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
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Nice