बुराई पर अच्छाई की जीत : दशहरा

सुनील कुमार माथुर



हम प्रति वर्ष बुराई पर अच्छाई की जीत का दिन दशहरा मनाते है चूंकि विद्वान रावण ने सीता को अपनी रानी बनाने के लिए सीता का अपहरण किया था । यहीं उसका सबसे बडा अपराध था । अन्त में उसे राम जी के हाथों मरना पडा चूंकि बुरे कामों का बुरा नतीजा होता हैं । आज हम वर्षों से रावण दहन करते आ रहें है और हर साल न जाने कितने करोडों की राशि रावण दहन के नाम पर खर्च कर रहे हैं । अगर यही राशि विकास कार्यों में लगाई जाये तो शायद समाज का भला होता । चूंकि आज राम जैसा आदर्श व्यक्ति कहीं देखने को नहीं मिलते हैं ।

आज तो देश में रावणों की कोई कमी नहीं है । हर गली , मोड , गांव व शहर में रावण ही रावण भरे पडें है तभी तो दिन दहाडे मारपीट , लूटपाट , अपहरण , बलात्कार , हिंसा, हेराफेरी , गुंडागर्दी , भ्रष्टाचार, आतंकवाद, घटिया मानसिकता व घटिया सोच, अंहकार, भ्रूण हत्या जैसी घटनाएं, अराजकता, ओछी राजनीति, जैसी घटनाएं बढती ही जा रही हैं जो एक चिंता की बात हैं । जब तक हम इन रावणों को नहीं मार सकते तब तक रावण के पुतलों पर धन खर्च करना धन की बर्बादी ही कहा जा सकता हैं ।

आज एक और रावण ने हमें परेशान कर रखा हैं और वह रावण हैं कोरोना महामारी । अतः इस रावण का नाश करना ही हमारी पहली प्राथमिकता बन गई है । जब तक हम उपरोक्त रावणों का अंत नहीं कर पायेगें तब तक रावण रूपी पुतलों को फूंक कर औपचारिकता निभाते रहिए मगर इससे कुछ भी हासिल होने वाला नहीं है । मात्र लकीर के फकीर बनकर औपचारिकता निभाते रहिए व करोडों रूपये हर वर्ष रावण दहन के नाम पर फूंकते रहिए । कुछ भी हासिल होने वाला नहीं है ।



जब तक हम बुराइयों पर अंकुश नहीं लगा पायेंगे तब तक रावण दहन होते रहेंगे । पुतले जलते रहेंगे । हमें अपनी सोच बदलनी होगी । सकारात्मक सोच विकसित करनी होगी व एक बार पुनः मानवीय मूल्यों की स्थापना करनी होगी । अपराधियों को कठोर से कठोर दंड देना होगा । बढते अपराधों पर अंकुश लगाना होगा । यही वक्त की पुकार है ।

12 Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Devbhoomi Samachar
Verified by MonsterInsights