बाल साहित्य को समर्पित “उदय किरौला”

सुनील कुमार माथुर
कहते है कि उगते सूर्य को सभी नमस्कार करते है और डूबते सूर्य को कोई नही । लेकिन यहां बाल साहित्य संस्थान अल्मोडा उतराखण्ड के सचिव उदय किरौला अपने नाम की सार्थकता को सिध्द कर दिखाया है । वे वर्तमान समय में बाल साहित्य का आंदोलन लेकर चल रहे है जो अपने आप में एक शुभ संकेत है।
उदय किरौला ने कोरोना काल में बच्चों की परेशानी देख बच्चों को एक नई दशा और दिशा प्रदान की और उनके व्यक्तित्व का सही ढंग से विकास करने के उदेश्य को ध्यान में रखते हुए गूगल मीट पर आन लाइन अखिल भारतीय स्तर पर कार्यशाला आयोजित करने का मानस बनाया और बाल कविताओं , ड्राइंग की कार्यशाला व नाना प्रकार के विषयों का चयन कर जो कार्यशाला आरंभ की वह इतनी सफल हुई कि आज उससे हजारों बच्चें लाभान्वित हो रहे है और अब यह पांच सौ वीं कार्यशाला के नजदीक पहुंच गयी हैं।
उदय किरौला इन कार्यशालाओं के माध्यम से जहां एक ओर बच्चों को सद् साहित्य से जोड रहे हैं वही दूसरी ओर बच्चों को संस्कारवान भी बना रहे हैं । आज शिक्षण संस्थाओं में मोटी – मोटी फीस लेकर भी संस्कारवान व चरित्रवान बनने की शिक्षा नहीं दी जा रही है वह कार्य किरौला निशुल्क कर रहे है।
उनका उदेश्य यही है कि बच्चों तक श्रेष्ठ साहित्य पहुंचे और उनका सर्वागिण विकास हो । वे इन कार्यशालाओं के जरिये बच्चों में देशभक्ति की भावना भी जागृत कर रहे है । एकला चलो रे से शुरू हुआ बाल साहित्य आंदोलन से आज हजारों बच्चें , शिक्षक , साहित्यकार , पत्रकार जुड गए हैं । किरौला आज अपने आपको पूरी तरह से बाल साहित्य को समर्पित कर चुके हैं।
उनका चिंतन मनन व प्रयास काफी सराहनीय है । जो न केवल बच्चों का श्रेष्ठ मनोरंजन ही करता हैं अपितु बच्चों को नैतिक शिक्षा भी प्रदान करता है । वे साहित्य का जो अलख जलाये हुए उसका उदेश्य यह भी है कि जीवन को मंगलमय बनाये और जीवन को मंगलमय बनाने के लिए जीवन में आदर्श संस्कारों का होना नितांत आवश्यक है जो कहीं बाजार में नहीं मिलते है।
आज सबसे बडी दुःख की बात यह है कि आज के चकाचौंध की इस दुनियां में न जाने आदर्श संस्कार कहां खो गये । हमारी संताने ही हमारा अभिमान है तो फिर इन्हें संस्कारवान बनाना भी हमारा ही कार्य है उठो , जागों और बच्चों को संस्कारवान बनायें।
¤ प्रकाशन परिचय ¤
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From »सुनील कुमार माथुरलेखक एवं कविAddress »33, वर्धमान नगर, शोभावतो की ढाणी, खेमे का कुआ, पालरोड, जोधपुर (राजस्थान)Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
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