वीपीडीओ भर्ती धांधली का सच आया सामने

एसटीएफ के सामने उगली पूरी कहानी
पता चला कि राजेश आयोग के बहुत से अधिकारियों को मोटी रकम का लालच देकर अपनी तरफ कर लेता है। नकल सिंडीकेट के बड़े-बड़े लोगों से उसकी पहचान है। गिरफ्तार होने के बाद राजेश चौहान ने भी अपनी पूरी कहानी को एसटीएफ के सामने उगल दिया। बताया कि उसने किस तरह से आयोग के अधिकारियों को अपनी तरफ किया और पहले की कई परीक्षाओं में धांधली कर अभ्यर्थियों को पास कराया। 2016 में कंपनी को परीक्षा कराने का काम मिला। इसके बाद से कोई परीक्षा ऐसी नहीं रही जिसमें धांधली न हुई हो।
देहरादून। उत्तराखंड में प्रतियोगी परीक्षाओं के तालाब को गंदा करने वाली आरएमएस टेक्नो सॉल्यूशन नाम की मछली को अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष और उनकी टीम ने ही पाला। इसी टीम ने इस दागी कंपनी को पहली बार उत्तराखंड में भर्ती परीक्षाएं कराने की जिम्मेदारी दी।
इस कंपनी ने रावत की अध्यक्षता वाले आयोग में धांधली की जो शुरुआत की, वह रावत और उनकी टीम के आयोग से हटने के बाद भी जारी रही। आयोग की नई टीम ने भी बिना जांचे परखे आरएमएस टेक्नो सॉल्यूशन को कई दर्जन भर्ती परीक्षाएं कराने का ठेका दे दिया। नतीजा यह हुआ कि उत्तराखंड में सरकारी पदों पर भर्ती की परीक्षा लेने वाला आयोग देश का सबसे बदनाम संस्थान बन गया।
आरएमएस टेक्नो सॉल्यूशन को सबसे पहले आयोग ने 2016 में परीक्षा कराने की जिम्मेदारी दी थी। तब आयोग के अध्यक्ष आरबीएस रावत, सचिव एमएस कन्याल और परीक्षा राजेंद्र पोखरिया थे। वीपीडीओ की परीक्षा भी 2016 में ही हुई। इस परीक्षा में कंपनी और आयोग के अधिकारियों की सांठगांठ से अभ्यर्थियों से लाखों रुपये लेकर उन्हें सरकारी नौकरी के लिए चुन लिया गया। परीक्षा पर सवाल उठे। मामला कोर्ट तक गया और बाद में रावत ने खुद को पाक साफ साबित करने के लिए आयोग के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया।
2017 में एस. राजू को आयोग का नया बनाया गया। संतोष बड़ोनी को आयोग का सचिव बना गया। इस नई टीम ने भी आरएमएस टेक्नो सॉल्यूशन को आश्रय दिया। इस कंपनी के मालिक राजेश चौहान ने कुछ ऐसा जादू किया कि एक के बाद एक कई परीक्षाओं की जिम्मेदारी आंख बंद करके आयोग इसी कंपनी को देता रहा। धामी सरकार के एक्शन में आने के बाद इन घपलों की परत दर परत खुलने लगी। स्नातक स्तरीय भर्ती,ग्राम पंचायत विकास अधिकारी भर्ती,सचिवालय रक्षक भर्ती, दरोगा भर्ती, वन दारोगा भर्ती जैसी हर परीक्षा कराने की इसी दागी कंपनी को मिली और इन सब में धांधली पकड़ी गई।
आयोग के पूर्व अध्यक्ष एस राजू को छोड़ कर आयोग से जुड़े तकरीबन सभी अधिकारी या तो जेल में हैं या जांच के दायरे में हैं। एसटीएफ ने 22 जुलाई को जब स्नातक स्तरीय परीक्षा की जांच शुरू की तो दो दिन बाद ही आरएमएस कंपनी के दो कर्मचारियों को गिरफ्तार कर लिया गया। शुरूआती जांच में ही पता चल गया कि खेल आरएमएस कंपनी का ही खेला हुआ है। लेकिन, एसटीएफ को तलाश थी एक ऐसे व्यक्ति की जो इसके मालिकों का नाम ले ले। मगर, किसी ने मुंह नहीं खोला।
कारण था कि आरएमएस का मालिक राजेश चौहान आयोग और राजनीतिक लोगों में अच्छी पैठ रखता था। गिरफ्तारियों की फेहरिस्त लंबी होती चली गई। इधर, एक के बाद एक परीक्षा की जांच में बार-बार कंपनी का नाम सामने आ रहा था।इस बीच एसटीएफ को वह कड़ी मिल गई जिसका इंतजार था। केंद्रपाल ने उसके मालिक राजेश चौहान का राज फाश कर दिया।
ये हैं प्रमुख भर्तियां, जिनमें कराई धांधली
- स्नातक स्तरीय भर्ती परीक्षा
- ग्राम पंचायत विकास अधिकारी परीक्षा
- सचिवालय रक्षक भर्ती परीक्षा
- दरोगा भर्ती परीक्षा
- वन आरक्षी भर्ती परीक्षा