सूरज निकल आया

सुनील कुमार माथुर
नन्ही-सी प्यारी सी मुनिया बोली , दादी मां
सूरज निकल आया है
सूरज की किरणों ने आंगन में
कितना प्रकाश कर दिया है
सूरज की किरणों के संग
आंगन में प्यारी – प्यारी चिडियां आई है
मम्मी देखों ! कैसे चिडियां फुदक रही हैं
जल्दी से तुम इनके लिए रोटी बना दो
मम्मी इन्हें बड़ी भूख लगी हैं
थूप सेकते चिडियां आराम से खाना खायेगी
मम्मी तुम जल्दी से इनके लिए रोटी बना दो
नन्ही सी प्यारी सी मुनिया बोली , दादी मां
आंगन में तुम अपनी खटिया लगवा लो
यही धूप में बैठकर तुम
मेरे लिए एक स्वेटर बना दो
नन्हे प्यारे भैया के लिए तुम
नन्हें – नन्हे मोजे बना दो
मुनिया बोली , दादी मां
सूरज निकल आया है
सूरज की किरणों ने आंगन में
कितना प्रकाश फैला दिया है
¤ प्रकाशन परिचय ¤
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From »सुनील कुमार माथुरलेखक एवं कविAddress »33, वर्धमान नगर, शोभावतो की ढाणी, खेमे का कुआ, पालरोड, जोधपुर (राजस्थान)Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
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