गांवों की आत्मनिर्भरता से बदलेगी गांवों की तस्वीर

ओम प्रकाश उनियाल
महात्मा गांधी ने ‘ग्राम-स्वराज’ की परिकल्पना इसलिए की थी ताकि गांवों का सर्वांगीण विकास किया जा सके व आत्मनिर्भर बन सकें। मोदी सरकार आजादी की 75वीं वर्षगांठ पर गांधी के सपनों को साकार कर गांवों की तस्वीर बदलने जा रही है।
भारत की आत्मा गांवों में बसती है। कृषि प्रधान देश है भारत। अधिकांश आबादी गावों में ही रहती है। वैसे तो गांव भी आधुनिकता की दौड़ में दौड़ने की होड़ लगाए हुए हैं। अभी दौड़ के लिए काफी तैयारी की जरूरत होगी।
पहले की अपेक्षा देश के अनेक गांवों में कुछ बदलाव आया तो है। स्वच्छता, गलियों के निर्माण आदि के प्रति जागरूकता बढ़ी है। कई गांव संचार सुविधा से जुड़े हुए हैं। सड़कों का जाल भी गांवों को जोड़ने के लिए बिछाया जा रहा है। बैंक, डाकघर भी जगह-जगह खुले हुए हैं।
स्वरोजगार उपलब्ध कराकर व सहायता समूह बनाकर स्वावलंबी बनाया जा रहा है। लेकिन जो मुख्य समस्याएं है उनसे अधिकतर गांव आज भी वंचित हैं। स्वास्थ्य, शिक्षा, पेयजल, सिंचाई, बेरोजगारी, कचरा प्रबंधन जैसी सुविधाओं की अभी भी भारी कमी है।
गांव आधुनिकता के रंग में रंग तो रहे हैं साथ ही अपना वास्तविक स्वरुप भी खोते जा रहे हैं। जो प्राकृतिक वातावरण गांवों का पहले था वह कहीं-कहीं ही देखने को मिलता है।
पीपल, बरगद, नीम की छांव में लगने वाली चौपालें, चौपालों में होने वाली चर्चाएं, हंसी के ठहाके, खेलते-कूदते बच्चे, पक्षियों की चहचहाट, मिट्टी और घास-फूस के घर, घर के आंगन व चौक में खड़े पेड़, खेतों में लहलहाती हरियाली महज अब एक सपना बनते जा रहे हैं। गांवों में कृषि भूमि घटती जा रही है।
कृषि भूमि को अकृषि दर्शाकर आवासीय भवन खड़े किए जा रहे हैं। खेतों में खड़े पेड़ों का कटान कर हरियाली खत्म की जा रही है। गावों को आत्मनिर्भर बनाना है तो मजबूत पंचायत-राज व्यवस्था व ग्रामीणों की भागीदारी एवं जागरूकता से यह संभव होगा। गांव आत्मनिर्भर बनेंगे तो उनकी दशा भी बदलेगी।
¤ प्रकाशन परिचय ¤
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From »ओम प्रकाश उनियाललेखक एवं स्वतंत्र पत्रकारAddress »कारगी ग्रांट, देहरादून (उत्तराखण्ड) | Mob : +91-9760204664Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
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