दावानल से धुंधली हो रही है पहाड़ों की सुंदरता

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भुवन बिष्ट

रानीखेत। पहाड़ो की सुंदरता को हर कोई निहारना चाहता है। देवभूमि उत्तराखंड सदैव ही अपनी प्राकृतिक सौंदर्य की धनी है। पहाड़ो के वनों में आजकल वनाग्नि से करोड़ो की वन संपदा राख हो रही है वहीं दूसरी ओर पारस्थितिकी तंत्र भी इससे अव्यवस्थित हो जाता है। देवभूमि उत्तराखंड के पहाड़ो में आजकल चाहे वह वन पंचायत क्षेत्र हो अथवा वन क्षेत्र सभी जगह आग की घटनाओं ने सभी को चिंतित कर रखा है।

वनों में आग चाहे मानवीय भूल से लगती अथवा मानव की अति महत्वाकांक्षा से लगती हो, इससे प्रभावित होने वाले निर्दोष पशु पक्षी अपना सम्पूर्ण जीवन आवास और अपनी खाद्य श्रृंखला को खो देते हैं। लगातार हो रही वनाग्नि से पारस्थितिकी तंत्र को बहुत अधिक क्षति होती है। दुर्लभ पशु पक्षी कीट पतंगे बहुमूल्य जड़ी बूटी सभी पशु पक्षियों के आवास तथा आहार श्रृंखला सभी वनाग्नि की भेंट चढ़ रहे हैं।

पशु पक्षियों के आवास खाद्य श्रृंखला पर संकट…

वनों में होने वाली प्रत्येक वर्ष आग की घटनाओं को रोकने के उपाय अंत में विफल हो जाते हैं और पूर्व से रखी सोची हुई प्लान सभी धरे के धरे रह जाते हैं। इस समय लगातार वनों में हो रही आग की घटनाओं को रोकने के लिए सरकार ने दो हेलिकाप्टर की व्यवस्था भी की हुई है।

आजकल पहाडो़ में चारों ओर वनों में आग से धुंध छायी हुई है। वनाग्नि के धुंए से प्रदूषण बढ़कर पर्यावरण को भी बहुत अधिक मात्रा में क्षति पहुंचती है। वनाग्नि के कारण पहाड़ो में धुंध छाने से पहाड़ो की सुंदरता भी धुंधली हो रही है और पर्यावरण भी जंगलों की आग के धुंए से प्रदूषित हो रहा है।

देवभूमि उत्तराखंड में जहां दूर दूर तक सुंदर पहाड़ो की सुंदर श्रृंखलाऐं व दूर हिमनद की सुंदर श्रृंखलाओं के दर्शन आसानी से हो जाते थे किन्तु आजकल पहाड़ो में वनाग्नि से धुंध छायी हुई है। हर वर्ष होने वाली वनाग्नि से जहाँ बहुमूल्य वन संपदा राख हो जाती है वहीं दूसरी ओर आग की लपटें आबादी वाले क्षेत्रों गाँवों तक भी पहुंच जाती है जिससे मानवीय क्षति का भी खतरा निरंतर बना रहता है।

हर वर्ष जंगलों में इसी प्रकार आग विकराल रूप लेती रही तो निकट भविष्य में जल स्रोत भी धीरे धीरे समाप्त हो जायेंगें। वनों में आग की भेंट चढ़ने वाले बेजुबानों की असहाय पीड़ा को क्या मानव समझ पायेगा। मानवीय भूल से होने वाले पारिस्थितिकी तंत्र की क्षति की क्या मानव क्षतिपूर्ति कर पायेगा।यह भी विचारणीय है।

आजकल पहाड़ो की सुंदरता को वनाग्नि के धुंए ने धुंधला कर रखा है,और जंगलों की आग से उठने वाले धुंए ने पर्यावरण को भी प्रदूषित कर दिया है। इस सुंदरता को बनाने व बिगाड़ने में मानवीय योगदान सदैव महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।


¤  प्रकाशन परिचय  ¤

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भुवन बिष्ट

लेखक एवं कवि

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रानीखेत (उत्तराखंड)

Publisher »
देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड)

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