मजबूत आत्मबल और जीने की इच्छा
सुनील कुमार माथुर
जीवन में खट्टे मीठे अनुभव सभी के जीवन में आते हैं जो हमें एक नई सीख व प्रेरणा देते हैं । इसलिए व्यक्ति का आत्मबल और जीने की इच्छा मजबूत होनी चाहिए । छोटी – छोटी बातों से हताश व निराश होकर आत्महत्या नहीं करनी चाहिए । आत्महत्या करना कायरों का काम हैं । हमें यह मानव जीवन मिला है ।
अतः इसे यू ही बेकार की गपशप कर नहीं गमाना है अपितु प्रभु के चरणों में लगाना है तथा दीन दुःखी लोगों की सेवा में लगाना है । यह तभी सम्भव है जब हम शिक्षा ,प्राप्त करे और दूसरे को भी शिक्षित करें । हमारे चार गुरु हैं । हमारी पहली गुरु हमारी माँ है जो हमें सदमाग॔ पर चलना सिखाती हैं । दूसरे गुरु पिता है जो हमें व्यवहार करना सिखाते है । हमारे तीसरे गुरु शिक्षक है जो हमें पढाते हैं और किताबी ज्ञान देते हैं और चौथा गुरु सदगुरू होता है जो इस संसार के जीव को परमात्मा से मिला देता हैं ।
अगर बच्चा गलत मार्ग पर जाता है तो समझो माता ने बच्चे को सदमाग॔ पर चलने का मार्ग नहीं दिखाया है उसमें कहीं न कहीं त्रुटि रही हैं । शिव पर जल चढाने के बाद वह पात्र भले ही हमें खाली दिखाई दें लेकिन शिव जी उसे पद ,प्रतिष्ठा , आशींवाद और धन दौलत से भर देते है वे सामने से प्रकट होकर कोई अहसान नहीं जताना चाहते है । जिसने जीवन में एक बार राम नाम का नशा कर लिया फिर उसे जीवन में दूसरा नशा करने की कोई जरूरत नहीं है । चूंकि उस पर राम का नशा चढ चुका है ।
परमात्मा कहते है कि भक्त अपने लाभ के लिए आते है अगर मेरा भक्त सच्चा है और मेरे दर्शन करने के लिए ही आता है तो मैं आंख तो क्या पूरा दरवाजा ही खोल दूं । आज का इंसान बाहरी सुन्दरता की ओर दौड रहा हैं । क्रीम , पाउडर लगा रहा है और ब्यूटी पार्लर जा रहा हैं लेकिन मन के भीतर नहीं झांक रहा हैं । मन में मैल भरा पङा है । लोगों से ठीक तरीके से बात भी नहीं करता है । अभद्र व्यवहार करता है तो फिर यह बाहर की सुन्दरता किस काम की । यह तो वही हुआ ऊंची दुकान फीके पकवान ।
अतः अपने मन के भीतर जमे काम , ,कोध , लोभ लालच और घृणा रूपी मैल को बाहर निकाल फैकिये । फिर देखिये आपके भीतर कितनी सुन्दरता आयी है । दिमाग को साफ सुथरा रखना चाहिए । दिमाग तभी साफ रहेगा जब दिमाग व मन को ध्यान, योग, कथा, भजन-कीर्तन में लगाओ फिर देखो कितना आनन्द आता है । मन पर नियंत्रण रखना होगा । आत्मा जैसा चाहे वैसे ही हम से करावे तो आत्मा मालिक है और हम उसके नौकर । दुनिया में सबसे बडा जीव मानव है ।
एक कुत्ते का जन्म कुत्ते के रूप में होता है और कुत्ते के रूप में ही मर जाता है और एक मनुष्य एक मनुष्य के रूप में जन्म लेता हैं और धर्म का सहारा लेकर वह देवता बन जाता है और वह धर्म करके पुण्य कमाता है । पुण्य एकत्रित करता है । त्याग, तपस्या और धर्म करके यह शरीर रूपी गाड़ी मोक्ष तक पहुचायेगी । आत्मा कभी मरती नहीं है । आत्मा और शरीर का अलग होना ही मरण है । अतः बच्चों को अपनी माँ की बात का कभी भी बुरा नहीं मानना चाहिए चूंकि वह सदैव अपने बच्चों की भलाई के लिए ही सोचती है ताकि वे समाज के अच्छे नागरिक बन सके ।
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