देने का भाव

देने का भाव, वे तो सदैव चिकने घडे ही बने रहगें। ईश्वर उन्हीं की मदद करता हैं जो अपनी स्वंय की मदद करता हैं। सत्य के मार्ग पर चलने वाला सदा सुखी रहता है… जोधपुर (राजस्थान) से सुनील कुमार माथुर की कलम से…
जिस पर भगवान की कृपा होती है उनका ही मन भक्ति में लगता हैं और पूजा पाठ करने में लगता हैं। आप किसी की मदद कर रहे हैं, सहायता या सहयोग कर रहे हैं तब उसकी फोटों न ले। उसे मीडिया में न दें। न ही उस चित्र के माध्यम से आप ध्दारा की गई सहायता, सहयोग व मदद का प्रचार प्रसार करें। चूंकि इससे जहां एक ओर आपने जो मदद की, सहायता या सहयोग किया उससे मिलने वाला पुण्य क्षीण हो जाता हैं।
यानि जितना पुण्य का फल मिलना चाहिए था वह पूरा नहीं मिल पाता हैं चूंकि हमने जो भी मदद की उसमें कहीं न कहीं हमारा स्वार्थ का भाव भी छिपा हुआ था। पुण्य सही मायने में वही हैं जिसमें केवल देने का भाव ही हो न कि प्रचार प्रसार व लोक दिखावे का भाव हो आज का इंसान दूसरों की प्रगति देखकर कुछ नया नही सिखता है अपितु उसकी प्रगति से ही ईर्ष्या करता हैं। ऐसा भाव रखने वाले व्यक्ति कभी भी नहीं सुधर सकते भले ही उन्हें कितना भी सुधारने का प्रयास कर लिजिए।
वे तो सदैव चिकने घडे ही बने रहगें। ईश्वर उन्हीं की मदद करता हैं जो अपनी स्वंय की मदद करता हैं। सत्य के मार्ग पर चलने वाला सदा सुखी रहता हैं चूंकि उस पर हर वक्त ईश्वर की कृपा बरसती रहती है। जहां सच्चाई है, वही उन्नति हैं, प्रगति हैं, प्रेम, सौहार्द का भाव हैं। जो व्यक्ति भक्ति के मार्ग में बाधक बनता है उसे भगवान कभी भी माफ नहीं करते है।
याद रखिए मनुष्य एक व्यवहार हैं। मानवीय मूल्यों और नैतिकता का नाम हैं। कहने का तात्पर्य यह हैं कि जिसके जीवन में धर्म हैं वहीं मनुष्य हैं। जीवन में पवित्रता होनी चाहिए। परमात्मा की कृपा से ही जीवन सुखमय, आनंदमय व गरिमामय बन सकता हैं।
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