आपके विचार

रिश्ते और रास्ते

रिश्ते और रास्ते… रिश्ते निभाना भी एक कला है़ लेकिन रिश्ते निभाने का मतलब यह नहीं है कि हम किसी की चापलूसी करें। किसी से दब कर रहे। उनकी हां में हां मिलाते रहे। रिश्ते कांच की तरह होते हैं ‌ बस वो साफ व स्पष्ट होने चाहिए। उनमें किसी प्रकार की धूल ( होशियारी। घमंड। अंहकार की धूल ) नहीं जमी होनी चाहिए। #सुनील कुमार माथुर, जोधपुर (राजस्थान)

रिश्ते और रास्ते दोनों ही शब्द बहुत ही छोटे लगते है़ लेकिन दोनों ही जीवन में बडे ही महत्वपूर्ण है। रिश्ते को अगर सही ढंग से न निभाया जाये तो वे कांच की तरह से टूट जाते हैं और सही रास्ते पर न चला जाये तो व्यक्ति भटक जाता है। अतः जीवन में रिश्ते और रास्ते दोनों ही सही होने चाहिए ताकि जीवन निर्बाध रूप से चलता रहे।

रिश्ते निभाना भी एक कला है़ लेकिन रिश्ते निभाने का मतलब यह नहीं है कि हम किसी की चापलूसी करें। किसी से दब कर रहे। उनकी हां में हां मिलाते रहे। रिश्ते कांच की तरह होते हैं ‌ बस वो साफ व स्पष्ट होने चाहिए। उनमें किसी प्रकार की धूल ( होशियारी। घमंड। अंहकार की धूल ) नहीं जमी होनी चाहिए। जैसे कांच साफ होता हैं तो उसमें चेहरा देखने वालें का चेहरा भी साफ दिखाई देता है।

ठीक उसी प्रकार रिश्ते मे़ भी स्पष्टवादिता होनी चाहिए। जो भी बात हो सबके सामने बिना लाग लपेट के होनी चाहिए न कि छल कपट हो। इसी तरह जब आप किसी पथ पर या रास्ते पर जा रहे हैं तो आपकों अपने उस रास्ते का सही ज्ञान होना चाहिए अन्यथा आप बिना वजह इधर उधर भटकते रहेगे जिससे समय की बर्बादी होगी साथ ही साथ आप अपने लक्ष्य तक नहीं पहुंच पायेंगे। इसलिए रिश्ते और रास्ते का विशेष ध्यान रखिए। इनसे भटक गये तो फिर जीवन की नैया पार लगाना कठिन है।

सैनिक कवि गणपत लाल उदय ने एक बार फिर रचा इतिहास


रिश्ते और रास्ते... रिश्ते निभाना भी एक कला है़ लेकिन रिश्ते निभाने का मतलब यह नहीं है कि हम किसी की चापलूसी करें। किसी से दब कर रहे। उनकी हां में हां मिलाते रहे। रिश्ते कांच की तरह होते हैं ‌ बस वो साफ व स्पष्ट होने चाहिए। उनमें किसी प्रकार की धूल ( होशियारी। घमंड। अंहकार की धूल ) नहीं जमी होनी चाहिए।

Devbhoomi Samachar

देवभूमि समाचार में इंटरनेट के माध्यम से पत्रकार और लेखकों की लेखनी को समाचार के रूप में जनता के सामने प्रकाशित एवं प्रसारित किया जा रहा है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
Verified by MonsterInsights