तंबाकू धीमा व मीठा जहर

ओम प्रकाश उनियाल

तंबाकू सेवन करने से जितना प्रतिकूल प्रभाव मनुष्य के स्वास्थ्य पर पड़ता है उतना ही पर्यावरण पर भी। इसके सेवन से एक नहीं कई बीमारियां शरीर में घर कर लेती हैं।

सांस, दमा, फेफड़ों का कैंसर, पाचन-तंत्र का बिगड़ना जैसे लक्षण होते हैं इसके सेवन से। मीठा व धीमा जहर है तंबाकू। जो कि शरीर को धीरे-धीरे खोखला करता रहता है।

कई लोगों को तंबाकू का सेवन करने की इतनी बुरी लत लगी होती है कि यदि उन्हें दो-चार घंटे इसके सेवन से रोक दिया जाए तो बैचेनी होने लगती है। हुड़क उठने लगती है उनके शरीर में।

यहां तक कि ऐसे भी लोग हैं जो तर्क देते फिरते हैं कि तंबाकू पीने से पेट दर्द व गैस बनना ठीक हो जाता है। ऐसे लोग खाना खाने के बाद इसका सेवन करते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में बीड़ी-सिगरेट पीने के अलावा हुक्का का उपयोग अधिक किया जाता है।

तंबाकू के सेवन के दुष्परिणाम जानते हुए भी बेधड़क इसका उपयोग किया जाता है। केवल हुक्के में ही तंबाकू उपयोग नहीं किया जाता है बल्कि इसकी पत्तियां बीड़ी-सिगरेट में भी भरी जाती हैं।

तंबाकू की खेती जहां भी होती है वहां की जमीन को भी नुकसान पहुंचता है। सिगरेट-बीड़ी बनाने के लिए कई वृक्षों का कटान किया जाता है। तंबाकू पीने से निकलने वाले धुएं से वायु-प्रदूषण फैलता है। हर साल लाखों की संख्या में मौतें होती हैं।

विश्व तंबाकू निषेध दिवस मनाने का मूल उद्देश्य लोगों में इसके दुष्प्रभावों के बारे में विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से जागरूकता पैदा करना है। हर साल 31 मई को यह दिवस 1987 से मनाया जा रहा है।


¤  प्रकाशन परिचय  ¤

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ओम प्रकाश उनियाल

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