कविता : आज तू भी कुछ लिख दे यार

राजेश ध्यानी सागर

आज तू भी कुछ
लिख दे यार मेरे लिए।
क्या तेरे पास
कलम नहीं?
दिल है कि
वो भी नहीं।

गिरा दे कलम से
कोंरे कागजों मे
अपनें अरमानों को।
आंसुओ को गिराना
कितना सरल
बना दिया तूने।

इनका क्या है यार
जो गिरते ही
सूख जाते है ,
क्या तुझें
पता नहीं।
सजा दे
कलम केआंसुओं को
जो कभी
सूखते नहीं ,

जब चाहा
गुनगुना लियें
जब चाहा
समेट लिये।
बहुत सबर है
इनमें यार
ये जल्दी से
मिटतें भी नहीं।


¤  प्रकाशन परिचय  ¤

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राजेश ध्यानी “सागर”

वरिष्ठ पत्रकार, कवि एवं लेखक

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