कविता : गाजीपुर
कविता : गाजीपुर, पूर्वाचल एक्सप्रेस-वे का नजारा है दरिया से तुम्हें दिखाएंगे, चांदपुर गांव के टुल प्लाजा से लखनऊ लेकर जाएंगे। आना कभी महुआबाग में अफीमी हवाओं में घूमाएगे, गाजीपुर, उत्तर प्रदेश से शिवांश राय की कलम से…
चलो फलानी! तूमको गाजीपुर घूमाते है,
हमरे यहां 2दो साल के लौड़े गंगा में डुबकी लगाते हैं।
तूमको क्या लगता है, तूमहरा जगह ही है बस मशहूर,
लग जाएगा पता कभी आना वीरों की धरती गाजीपुर।
पेड़ों कि छांव है और अष्ट शहीदो कि गांव है,
शहीदों में सबसे उपर अब्दुल हमीद का नाव है।
तूमको क्या पता हम सात पैटन टैंक उडाए हैं,
अखण्ड भारत में सबसे अधिक जवान गंवाए हैं।
लहुरीकाशी के हम वासी नहीं रहती कोई उदासी,
कलम से नाम बनाए है।
दिल से बसा दिलदारनगर की नहर तूमको दिखाएंगे,
जो आएगे मुहम्मदाबाद में मुहब्बत पाकर जाएंगे।
पूर्वाचल एक्सप्रेस-वे का नजारा है दरिया से तुम्हें दिखाएंगे,
चांदपुर गांव के टुल प्लाजा से लखनऊ लेकर जाएंगे।
आना कभी महुआबाग में अफीमी हवाओं में घूमाएगे,
मिश्र बाजार में चननू कि चाय का स्वाद हम दिलवाएंगे।
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