कविता : अंहकार का त्याग कर
सुनील कुमार माथुर
हे मानव ! अंहकार का त्याग कर
पीडित व दुखीजन को गले लगा
उनकी पीडा को समझें और
उनकी पीडा को दूर करने का प्रयास कर
हर वर्ग के लोगों का मान – सम्मान कर
जीवन में कुछ नया
कर गुजरने की तमन्ना रख
ज्ञान का प्रकाश फैला
मानवीय मूल्यों को बनायें रख
हें मानव ! अंहकार का त्याग कर
पीडित व दुखीजन को गले लगा
अनैतिक व गलत कार्यों से दूर रहें
सकारात्मक सोच रखें और
निर्धारित लक्ष्य की ओर बढ
बढता चल – बढता चल
मंजिल अवश्य ही मिलेंगी
जरूरतमंद लोगों की सेवा करें
कला व कलाकार का सम्मान कर
किसी को भी अपने से
कमजोर समझने की भूल मत कर
जो भी वायदा करें उसे समय पर पूरा कर
सभी के प्रति दया व प्रेम का भाव रखें
मानवीय मूल्यों को बनायें रख
हें मानव ! अंहकार का त्याग कर
जीवन को परमार्थ के कार्यों में लगायें रख
इस अनमोल रत्न रूपी जीवन को
आनंदमय व खुशहाल बनायें रख
अच्छा सोचें और अच्छा बोलें
यही हैं आदर्श जीवन जीने का मूल मंत्र
हें मानव ! अंहकार का त्याग कर
पीडित व दुखीजन को गले लगा
उनकीं पीडा को समझें और
उन्हें दूर करने का प्रयास कर
¤ प्रकाशन परिचय ¤
From »सुनील कुमार माथुरलेखक एवं कविAddress »33, वर्धमान नगर, शोभावतो की ढाणी, खेमे का कुआ, पालरोड, जोधपुर (राजस्थान)Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
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