कविता : ईद का चांद

राजीव कुमार झा
तुमने मन से
जो कुछ
पूछा
कौन कहेगा उसको
झूठा
अब सच झूठ से
अलग होकर
रहूंगा
तब कुछ कहूंगा
इस चक्कर में
काफी दिन
शहर में
मैंने बिताया
कहां किसी ने
अपना दिल
मुझे दिखाया
ईद का चांद
निकल आया
तुमने किसी तरह
दिन बिताया
शाम में
किसी तरह घर
लौट आया !
मेरे पास
जो भी है,
उसे समेटकर
किसी को
कहना चाहता
यह रास्ता
हमारे घर के
बाहर से
कहीं दूर जाता
इसके पास
किसी किनारे
मेरा घर है,
यहां तुम्हारा
स्वागत है!
¤ प्रकाशन परिचय ¤
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From »राजीव कुमार झाकवि एवं लेखकAddress »इंदुपुर, पोस्ट बड़हिया, जिला लखीसराय (बिहार) | Mob : 6206756085Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
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