पंजाब कांग्रेस का खेवनहार कोई नहीं
ओम प्रकाश उनियाल
देश के पांच राज्यों में 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव होने हैं। गोवा, मणिपुर, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश व पंजाब में विधानसभा का कार्यकाल 15 मार्च 2022 को समाप्त हो रहा है। इन राज्यों के विभिन्न राजनैतिक दल चुनाव की रणनीति तैयार करने में जुट चुके हैं। हालांकि राजनैतिक दलों की आपसी खींचतान हर राज्य में है। मगर पंजाब में जहां कांग्रेस की सरकार है वहां ऐन वक्त पर उठा-पटक का चलना दल के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है।
कुछ माह पहले उत्तराखंड में भी ऐसी ही स्थिति बनी थी। जो कि बाद में सामान्य हो गयी। पंजाब में पूर्व सीएम कैप्टन अमरिन्दर सिंह और पूर्व राज्यसभा सांसद नवजोत सिंह सिद्धू के बीच की तनातनी का परिणाम यह हुआ कि पंजाब कांग्रेस टूटन की स्थिति में आ चुकी है। अभी भी यह रार टली नहीं है। नवजोत सिंह सिद्धू भले ही एक सफल क्रिकेटर रहे हैं लेकिन राजनीति के रणक्षेत्र में वह अपना दमखम व स्थायित्व नहीं बना पाए।
इससे साफ पता चलता है कि वे राजनैतिक महत्वकांक्षा पाले हुए है। भाजपा से कांग्रेस का हाथ थामकर कांग्रेस में तोड़-फोड़ के हालात जिस प्रकार से उन्होंने पैदा किए वह प्रदेश कांग्रेस को आने वाले चुनाव में भारी नुकसान पहुंचा सकते हैं। वैसे भी देश में कांग्रेस की वर्तमान स्थिति हाशिए पर है। ऐसे में ऐन वक्त पर इस प्रकार के हालात पैदा करना कोई समझदारी नहीं है। जाहिर है कांग्रेस का कोई खेवनहार ही नहीं है। यह सियासी ड्रामा कितना और कब तक चलेगा कुछ कहा नहीं जा सकता? कांग्रेस को पंजाब में पुन: सत्ता में आना है तो एकजुट होना होगा।