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स्मृति शेष : सेवा और सादगी की प्रतिमूर्ति मंजू माथुर का निधन

स्मृति शेष : सेवा और सादगी की प्रतिमूर्ति मंजू माथुर का निधन… आपकी सुमधुर स्नेहिल स्मृति, आपकी सहृदयता, धर्मपरायणता, एवं चारित्रिक विशेषताएं चिर स्मरणीय एवं प्रेरणादायक रहेगी। आप एक प्रेरक, चिंतक थी। आपका परिवार बहुत भाग्यशाली हैं कि उन्हें आपकी निस्वार्थ और शुद्ध और स्नेह व प्यार की छत्रछाया मिली और वे उस में बडे हुए। #(कार्यालय संवाददाता)

यह मानव जीवन परमात्मा ने हमे़ उपहार स्वरूप प्रदान किया है जिसको हमें सुंदरता व मानवीय मूल्यों के साथ ईश्वर भक्ति में लगाते हुए बिताना है वरना तो यह संसार एक सराय हैं। जहां व्यक्ति आता हैं और अपने अपने कर्म करके परलोक सिधार जाता है।‌ लेकिन कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो अपने नेक कर्मों से ऐसी ख्याति अर्जित कर जाते हैं कि उनके परलोक चले जाने के बावजूद भी ऐसा लगता है कि वे आज भी हमारे बीच में है और वे हमारा मार्गदर्शन करते रहते है और हमें पता भी नहीं चलता है कि वह पुण्य आत्मा अपना आशीर्वाद परिवार पर आज भी बनाए हुए हैं।

5 नवम्बर 2024 को स्व 0 डॉ नरेन्द्र कुमार माथुर की धर्मपत्नी मंजू माथुर का निधन हो गया जिनका अंतिम संस्कार 6 नवम्बर को ब्यावर में किया गया । वे कुछ समय से बीमार चल रही थी। स्व मंजू माथुर बडी ही मिलनसार, धर्म-कर्म में रूचि रखने वाली महिला थी परिवार को एकता के सूत्र में बांध कर उसे वटवृक्ष का रूप दिया जो आपकी सहनशीलता, परोपकारिता, धैर्य, त्याग और परिवार के प्रति समर्पण के भाव को दर्शाता है.

आपकी सुमधुर स्नेहिल स्मृति, आपकी सहृदयता, धर्मपरायणता, एवं चारित्रिक विशेषताएं चिर स्मरणीय एवं प्रेरणादायक रहेगी। आप एक प्रेरक, चिंतक थी। आपका परिवार बहुत भाग्यशाली हैं कि उन्हें आपकी निस्वार्थ और शुद्ध और स्नेह व प्यार की छत्रछाया मिली और वे उस में बडे हुए। उन्होंने सादा जीवन और उच्च विचारों को अपना कर सादगी की मिसाल पेश की। उन्होंने सेवा और सादगी के आदर्श को अपने जीवन में साकार कर दिखाया चूंकि वे बहुत ही सरल स्वभाव की महिला थी। उसूलों से कभी भी समझौता नहीं किया।

निर्भीकता की साक्षात मूर्ति थी। वे नारी शिक्षा की प्रबल समर्थक थी। उनका कहना था कि बालक – बालिका में किसी तरह का भेदभाव नहीं होना चाहिए । वे कहा करती थी नारी शिक्षित होकर दो परिवारों को शिक्षित करती है, इसलिए नारी के व्यक्तित्व को पुरूषों से कम नहीं आंका जाना चाहिए उनका व्यक्तित्व विराट और विशाल था। उनके बताए मार्ग पर चल कर हम उनके अधूरे कार्यों को पूरा करे, यही उन्हेंं सच्ची श्रद्धांजलि होगी. आपका स्नेह व प्रेरणादायक वचन परिवार व समाज को सदैव रोशन करेगा।‌आपका स्नेह व आशीर्वचन सदैव परिवार के साथ रहेगा। आपके द्वारा दिये गये संस्कार, स्नेह, विचार एवं कुशल मार्गदर्शन सभी को निरन्तर आगे बढने की प्रेरणा देते रहेगे।‌

कविता : मेरा शहर


स्मृति शेष : सेवा और सादगी की प्रतिमूर्ति मंजू माथुर का निधन... आपकी सुमधुर स्नेहिल स्मृति, आपकी सहृदयता, धर्मपरायणता, एवं चारित्रिक विशेषताएं चिर स्मरणीय एवं प्रेरणादायक रहेगी। आप एक प्रेरक, चिंतक थी। आपका परिवार बहुत भाग्यशाली हैं कि उन्हें आपकी निस्वार्थ और शुद्ध और स्नेह व प्यार की छत्रछाया मिली और वे उस में बडे हुए। #(कार्यालय संवाददाता)

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