साहित्य लहर

इश्क-मोहब्बत की बातें

प्रेम बजाज

ना कीजे इश्क़ो- मोहब्बत की बातें ये बर्बाद करती हैं ,
नहीं रखती कहीं का ये कि खाना – ख़राब करती हैं ।

दास्तां- ए – खाना- वीरानी ना देख मेरा तुम रो दोगे
दिखा के बागे- बहिशत क़फ़स का आगाज़ करती है ।

दिले- बेताबी बढ़ी हद से तो तेरे करीब आ गए हम
शहरे-आरजु जवां है , निगाहें जमाल तरसती हैं ।

करके अज़्म चला गया ना देखा एक बार भी मुड़ कर
मगर मैयत मेरी अभी भी उसी का इंतजार करती है ।

दिले- दाग़दार का सबब ना पूछ हमसे कैसे जीते हैं
तस्वीर यार की खिलबत का आफताब लगती है


¤  प्रकाशन परिचय  ¤

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From »

प्रेम बजाज

लेखिका एवं कवयित्री

Address »
जगाधरी, यमुनानगर (हरियाणा)

Publisher »
देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड)

Devbhoomi Samachar

देवभूमि समाचार में इंटरनेट के माध्यम से पत्रकार और लेखकों की लेखनी को समाचार के रूप में जनता के सामने प्रकाशित एवं प्रसारित किया जा रहा है।

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