साहित्य लहर

देखो क्या जमाना आया है…?

सुनील कुमार माथुर

देखों क्या जमाना आया हैं ?
साहित्यकार समाज का प्रहरी कहलाता हैं
समाज व राष्ट्र का शुभचिंतक कहलाता हैं
नित चिंतन कर साहित्य रचता हैं

पत्र – पत्रिकाओं के माध्यम से जन – जन तक
एक नई दशा व दिशा को पहुंचाता हैं
पत्र – पत्रिकाओं के संपादक मंडल को
हर रोज नई रचना पहुंचाता हैं फिर भी देखों

संपादक मंडल साहित्यकार को
लेखकीय प्रति भी डाक से निःशुल्क
भिजवाने से कतराता हैं
साहित्यकारों को पारिश्रमिक देना तो दूर रहा अपितु

साहित्यकारों से पत्र – पत्रिकाओं का
वार्षिक शुल्क तक मांग रहें है
देखों क्या जमाना आया हैं ?
पुलिस विभाग जनता का रक्षक हैं फिर भी देखो

समाज कंटक पुलिस पर हमला कर रहें है
देखों क्या जमाना आया हैं ?
देश के नेताओं में देशभक्ति की भावना होती थी
देश प्रेम की खातिर वे जान तक दे देते थे

जनता की समस्याओं को धैर्य के साथ सुनकर
उनका समय रहते समाधान कराया करते थे
शिकायती पत्रों पर तत्काल कार्यवाही करते थे लेकिन
आज के नेता वोटों की राजनीति खेल रहे हैं

जन समस्याओं व जनता कि शिकायतों की
सरे आम अनदेखी कर रहें है
देखों क्या जमाना आया हैं ?
सरकारी अधिकारी व कर्मचारी

जनता की सेवा किया करते थे लेकिन आज वे
भ्रष्टाचार की गंगा में डूबकी लगा रहें है
हर रोज दो – चार पकडे भी जाते हैं फिर भी
वे अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहें है

देखों क्या जमाना आया हैं ?
देखों रक्षक ही भक्षक बन रहे हैं
अपराधी पूजा स्थल पर भक्त बनकर जाता हैं और
मौका पाकर धर्म स्थलों को ही लूट रहें है

देखों क्या जमाना आया हैं ?
आओं मेरे देशवासियों हम सब मिलकर
देश प्रेम व देश भक्ति का अलख जगाये और
एक नयें भारत का नव निर्माण करें


¤  प्रकाशन परिचय  ¤

Devbhoomi
From »

सुनील कुमार माथुर

लेखक एवं कवि

Address »
33, वर्धमान नगर, शोभावतो की ढाणी, खेमे का कुआ, पालरोड, जोधपुर (राजस्थान)

Publisher »
देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड)

Devbhoomi Samachar

देवभूमि समाचार में इंटरनेट के माध्यम से पत्रकार और लेखकों की लेखनी को समाचार के रूप में जनता के सामने प्रकाशित एवं प्रसारित किया जा रहा है।

Related Articles

11 Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
Verified by MonsterInsights