सुन सुन सुन रे भाई सुन सुन सुन
अजय एहसास
सुन सुन सुन रे भाई सुन सुन सुन
ऊपर से ना अंदर से,
नेताओं के समंदर से,
अच्छे मोती चुन
सुन सुन सुन रे भाई सुन सुन सुन।
ये वोटिंग अधिकार हमारा,
जिसने तुझे पुकारा, ये हक है तेरा
गिरने वाले को जो उठाए,
जो दे तुझे सहारा कहो हमारा,
झूठ में और सच्चाई में
अच्छाई और बुराई में
अपना रास्ता चुन
सुन सुन सुन रे भाई सुन सुन सुन
जातिवाद को कोई बढ़ाये
धर्म वाद पर कोई लड़ाये
तू क्यों छला जाए
वोट बैंक की राजनीति
करती कैसी अनीती
भुलाकर नीती
प्यार भरे इस सागर में
लोकतंत्र के चादर में
अच्छे ताने बुन
सुन सुन सुन रे भाई सुन सुन सुन ।
आदर्शों की बातें करता
पर पैसे को मरता
हमेशा डरता
वोट उसी को दे डाला
मिल जाती जिससे हाला
लगेगा जाला
बात अकल वाली तू कर
देश की तू रखवाली कर
लग ना पाए घुन
सुन सुन सुन रे भाई सुन सुन सुन।
वोट नहीं तू देगा गर
पछतायेगा आंसू भर
अरे इतना कर
अब ना केवल भाषन हो
रहे अनुशासन
हो ऐसा शासन
उन धब्बों वाले कीचर को
कपड़ों के उन चीलर को
पकड़ पकड़ कर धुन
सुन सुन सुन रे भाई सुन सुन सुन ।
लंबी लंबी बातें करके
वोट ना देने जाना
है कुछ खो जाना
शासन की इच्छा रखकर
अनुशासन से घबराना
है पाप बढ़ाना
राष्ट्रधर्म अपनाओ तुम
प्रेम का दीप जलाओ तुम
अच्छे प्रत्याशी को चुन
कर्तव्यनिष्ठ बन जाओ तुम
सच्चे को ही चुन
सुन सुन सुन रे भाई सुन सुन सुन ।
¤ प्रकाशन परिचय ¤
From »अजय एहसाससुलेमपुर परसावां, अम्बेडकर नगर (उत्तर प्रदेश)Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
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