दूसरों की भावनाओं की कद्र करना सीखें
सुनील कुमार माथुर
भारत कश्मीर से कन्याकुमारी तक एक है । यहां विभिन्न भाषा , धर्म , जाति , प्रान्त व सम्प्रदाय के लोग निवास करते है फिर भी भारत एक राष्ट्र है । सब भाई – भाई है । मुसीबत के वक्त एक – दूसरें की मदद करते है जो वंदनीय और सराहनीय है।
मगर इस नश्वर संसार में ऐसे लोगों की भी कमी नही है जो अपने अंहकार में इतने अंधे हो गये है कि वे अपने आपकों को बडा ही तीस मारका समझते है और दूसरों की भावनाओं की अनदेखी करते है । वे यह भूल जाते है कि अंहकार तो रावण का भी काम नहीं आया । उसे भी पराजय का सामना करना पडा तो फिर हम किस खेत की मूली है।
आपको अगर किसी ने कोई जिम्मेदारी सौंपी है तो फिर उसे पूरी ईमानदारी व निष्ठा के साथ निभाये । अगर आप किसी अन्य कार्य में व्यस्त है या आपके बस की बात नहीं है तो सामने वाले को बिना किन्तु परन्तु के स्पष्ट मना कर दीजिए । वह आपकी बात से तनिक भी नाराज नही होगा और आपके स्थान पर किसी और से सहयोग ले लेगा । लेकिन किसी को कोई जवाब न देकर भरोसे में रख देना कोई बहादुरी नहीं है अपितु इससेे हमारी समाज में जो साख गिरती है उससे हम मुंह दिखाने लायक नहीं रहते है।
अतः समय पर जवाब देना सीखें । दूसरों की भावना कि कद्र करना सीखें । किसी ने आपकों कोई कार्य सौंपा है तो उसने आपको उस लायक समझ कर ही जिम्मेदारी सौंपी है तो फिर हम सही समय पर सही जवान देने में मूक बधिर क्यों । ना देने से संबंध बिगडते नही है अपितु सुधरते ही हैं । चूंकि सामने वाला भी इंसान है और लोगो की मजबूरियों को समझता है।
अतः परिस्थिति के अनुसार मना करना कोई बुरी बात नहीं है लेकिन जवाब न देकर भरोसे में रखना सरासर बेईमानी , नादानी , मूर्खतापूर्ण कृत्य ही कहा जा सकता है चूंकि यह एक प्रकार से धोखा हैं । छलावा हैं । अतः दूसरों की भावनाओं का मान – सम्मान करना सीखें । सत्य से कभी भी मुख न मोडे।
¤ प्रकाशन परिचय ¤
From »सुनील कुमार माथुरस्वतंत्र लेखक व पत्रकारAddress »33, वर्धमान नगर, शोभावतो की ढाणी, खेमे का कुआ, पालरोड, जोधपुर (राजस्थान)Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
---|
Nice
Nice article
Nice
Nice
Nice