साहित्य लहर
नेता जी कह रहे
गोपेंद्र कु सिन्हा गौतम
नेता जी कह रहे
जोर से बोलो जय श्री..!
जनता बोली रही
मंहगाई त्राहिमाम् !
निजीकरण त्राहिमाम् !!
बेरोजगारी त्राहिमाम!!!
नेता जी कह रहे
अबकी बार क्या है मन..!
जनता बोल रही
परिवर्तन,परिवर्तन!
कौन खाया काला धन!!
कहां गया आश्वासन!!!
नेता जी कह रहे
एक मौका मुझे दे दो और..!
जनता बोल रही
पांच साल पर करो गौर!
क्यों रहा भ्रष्टाचार का दौर!!
अपराध में क्यों सिरमौर!!!
नेता जी कह रहे
हुई गलतियां माफ़ करो…!
जनता बोल रही
पहले नियत साफ़ करो!
कुछ वर्ष पश्चाताप करो!!
उसके बाद मुलाकात करो!!!