उत्तराखण्ड समाचार

कोटद्वार में नदी-नाले उफान पर, घरों में घुसा मलबा

कोटद्वार में नदी-नाले उफान पर, घरों में घुसा मलबा, मार्ग बंद होने से बदरीनाथ धाम और हेमकुंड साहिब के साथ कुमाऊं जाने वाले वाहनों को वैकल्पिक मार्गों से भेजा जा रहा था। इस दौरान एनएचडीआइएल की ओर से युद्ध स्तर पर यातायात सुचारु करने के प्रयास किए जा रहे थे।

देहरादून। मौसम के अजीबो-गरीब मिजाज से देहरादून में कहीं भारी वर्षा हो रही है तो कहीं बूंदाबांदी भी नहीं। वहीं आज राज्‍य के तीन जिलों में भारी बारिश की चेतावनी जारी की गई है। इससे पहले शुक्रवार देर रात देहरादून में झमाझम बारिश हुई। कोटद्वार का आसपास के क्षेत्रों में बीती रात हुई भारी वर्षा से आमजन जंग दहशत में आ गया। भारी वर्षा के कारण क्षेत्र की मालन, सुखरो व खो नदियों के साथ ही बरसाती गदेरे भी उफान पर आ गए।

पटियाली गदेरे के उफान पर आने से आमपड़ाव व कौड़िया में कई स्थानों पर लोगों के घरों में मलबा घुस गया। तेज वर्षा के कारण सेना के विक्टोरिया क्रॉस विजेता गब्बर सिंह कैंप को शहर से जोड़ने वाली पनियाली गदेरे पर बनी पुलिया भी क्षतिग्रस्त हो गई। एसडीएम प्रमोद कुमार ने किसी भी तरह के जान माल के नुकसान से इनकार किया है। उत्तरकाशी में जिला मुख्यालय सहित आसपास के क्षेत्रों में शुक्रवार रात को हल्की वर्षा हुई। वर्षा के कारण गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग स्वारी गदेरे और सुनगर के पास अवरुद्ध हुआ है।

जबकि यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर डाबरकोट के पास लगातार पत्थर गिर रहे हैं। जिसके कारण राजमार्ग देर रात से अवरुद्ध है। कमद क्षेत्र में अतिवृष्टि से कई स्थानों पर भूस्खलन हुआ है। जिससे रास्ते क्षतिग्रस्त हुए और कई भवनों को खतरा पैदा हो गया है। मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक बिक्रम सिंह के अनुसार आज भी प्रदेश में बादल छाये रह सकते हैं। चमोली, बागेश्वर और उत्तरकाशी में कहीं-कहीं भारी वर्षा हो सकती है। अन्य क्षेत्रों में गरज-चमक के साथ बौछारें पड़ सकती हैं।

चमोली जिले में गौचर के पास कमेड़ा में सड़क ध्वस्त होने से अवरुद्ध बदरीनाथ हाईवे पांचवें दिन सुचारु किया जा सका। इसके चलते अब यात्रियों को 60 किमी की अतिरिक्त दूरी तय करने से निजात मिल गई है। बदरीनाथ हाईवे पर कमेड़ा में रविवार रात भूस्खलन के चलते सड़क का 100 मीटर हिस्सा ध्वस्त हो गया था। मार्ग बंद होने से बदरीनाथ धाम और हेमकुंड साहिब के साथ कुमाऊं जाने वाले वाहनों को वैकल्पिक मार्गों से भेजा जा रहा था।

इस दौरान एनएचडीआइएल की ओर से युद्ध स्तर पर यातायात सुचारु करने के प्रयास किए जा रहे थे। शुक्रवार को कमेड़ा के पास सड़क की मरम्मत कर हाईवे को सुचारु कर दिया गया। अब यात्रियों को अतिरिक्त दूरी नापने से छुटकारा मिल गया है। उत्तराखंड में निरंतर हो रही वर्षा के कारण सड़कों व पुलों के क्षतिग्रस्त होने से अब तक 250 करोड़ रुपये की क्षति का आकलन किया गया है। वर्षा का क्रम जारी रहने से यह और बढ़ सकती है। यही नहीं, लोनिवि के अंतर्गत आने वाले पुलों के इन दिनों चल रहे सेफ्टी आडिट में अभी तक 86 असुरक्षित श्रेणी में पाए गए हैं।



वर्षा के कारण जनजीवन प्रभावित होने के साथ ही सार्वजनिक संपत्ति को भी भारी नुकसान पहुंच रहा है। राज्य मार्ग, पीएमजीएसवाई की सड़कें, जिला मार्ग व संपर्क मार्गों के साथ ही पुल भी क्षतिग्रस्त हुए हैं। सचिव लोनिवि डा पंकज कुमार पांडेय के अनुसार सड़कों व पुलों की क्षति आंकलित की जा रही है। अभी तक 250 करोड़ की क्षति का अनुमान है। अभी वर्षाकाल के दो माह शेष हैं। वर्षा का क्रम भी बना हुआ है। इससे क्षति अधिक होने से इन्कार नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि वर्तमान में विभाग की प्राथमिकता क्षतिग्रस्त सड़कों को खुलवाकर यातायात को बहाल करने की है।



डा पांडेय ने राज्य में पुलों के सेफ्टी आडिट के संबंध में पूछे जाने पर बताया कि अभी तक 2250 पुलों का आडिट किया जा चुका है। इनमें 86 पुल असुरक्षित श्रेणी में पाए गए हैं। पौड़ी जिले में सर्वाधिक 18 पुल असुरक्षित पाए गए हैं, जबकि देहरादून व चमोली में यह संख्या क्रमश: 14 व 13 है। उन्होंने बताया कि अभी 1012 पुलों का सेफ्टी आडिट चल रहा है। उन्होंने कहा कि असुरक्षित श्रेणी वाले पुलों की रिपोर्ट तैयार कराई जा रही है, जिसके आधार पर इनके पुनर्निर्माण अथवा मरम्मत के संबंध में निर्णय लिया जाएगा।

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