मुझको अच्छा लगता है…

मुकेश कुमार ऋषि वर्मा
सुबह-सुबह चिड़ियों का चहकना
फर-फर फड़फड़ाकर उड़ना
मुझको अच्छा लगता है ।
पड़-पड़, थर-थर, हर-हर पत्तों का हिलना
कोमल- कोमल कलियों का खिलना
मुझको अच्छा लगता है ।
पूरब में लाल -सुनहरे सूरज का निकलना
नन्हें -नन्हें पौधों से ओस का झरना
मुझको अच्छा लगता है ।
ठंडी -ठंडी पवन का चलना
कोयल का मीठा गाना
मुझको अच्छा लगता है ।
हर सुबह का है सबसे कहना ।
जीवन में कभी नहीं थकना।।
¤ प्रकाशन परिचय ¤
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From »मुकेश कुमार ऋषि वर्मालेखक एवं कविAddress »ग्राम रिहावली, डाकघर तारौली गुर्जर, फतेहाबाद, आगरा, (उत्तर प्रदेश) | मो : 9876777233Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
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