सरकार की लुभावनी लोक कल्याणकारी योजनाएं और भटकता आम आदमी
सुनील कुमार माथुर
जब – जब सरकारें सता में आती हैं तब – तब जनता को वो लुभावनी लोक कल्याणकारी योजनाओं के सब्जबाग दिखाती हैं और जनता-जनार्दन इन झूठे घोषणा पत्रों में पहले तो बिना सोचें समझें आंख मिचकर वोट दे देती हैं और चुनाव जीतने के बाद हमारे जन प्रतिनिधि कभी भी जनता-जनार्दन की नहीं सुनते हैं और केवल अपने स्वार्थ की पूर्ति करते रहते हैं और फिर जनता पांच साल तक अपने आपकों कोसती रहती हैं । सरकार ने जनता-जनार्दन को लूट खसोट का एक जरिया बना लिया हैं ।
कभी उपचार के लिए मुख्यमंत्री चिरंजीव स्वास्थ्य बीमा योजना चलाती हैं तो सरकारी कर्मचारियों के लिए केन्द्र सरकार की सी जी एच एस की तर्ज पर राज्य सरकार द्धारा आर जी एच एस लागू कर रही हैं । इससे पहले मेडिकल डायरी की योजना थी । कुल मिलाकर रोगी का उपचार करना सरकार की पहली प्राथमिकता है तो यह सब नाटक क्यों । क्यों न हर मरीज को अस्पताल से ही निशुल्क दवा दी जायें । आज से चार पांच दशक पूर्व अस्पताल से ही सारी दवाइयां निःशुल्क दी जाती थी । उस वक्त इतने निजी अस्पताल भी नहीं थे । इतनी सुविधाएं भी नहीं थी लेकिन फिर भी सभी को उपचार निःशुल्क मिलता था ।
आज सुविधाओं का विस्तार हुआ हैं फिर भी सरकार के दौहरे नियमों के चलते जनता-जनार्दन को भारी सुविधाएं हो रही है । क्यों नहीं सभी के लिए एकरूपता रखी जायें । क्यों अलग-अलग योजनाएं चलाई जा रही हैं । इस तरह के नाटकों से यही सिध्द होता हैं कि सरकार की नियत कभी भी साफ नहीं रहती हैं । नाना प्रकार की योजनाएं चलाकर जनता-जनार्दन को केवल उलझाए रखना चाहती हैं । अतः सरकार बिना डायरी व कार्ड के हर वर्ग के रोगी का निशुल्क उपचार करें या निजी अस्पतालों में कराने के निर्देश जारी करें
यहीं हाल शिक्षा का हैं । सरकार प्रतिभाशाली छात्राओं को साईकिल व स्कूटी की योजनाएं चलाती हैं । छात्रवृत्ति की योजनाएं चलाती हैं लेकिन इनकी प्रक्रिया इतनी जटिल होती हैं कि हर किसी को इस तरह की योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता हैं । यहां तक कि कई बार तो सर्वर डाउन के कारण प्रतिभावान विधार्थी इस तरह की योजनाओं से वंचित रह जातें है जबकि वे हर तरह से इसके लिए योग्य होते हैं लेकिन सरकार की जटिल प्रक्रिया की वजह से वे लाभ से वंचित रह जाते हैं जबकि सिफारशी लोग ऐसी योजनाओं का लाभ उठा लेते हैं चूंकि प्रशासन व सरकार का दबाव अफसरों पर होता हैं ।
यहीं हाल केन्द्र सरकार का हैं । हर योजना को आधार कार्ड व पेनकार्ड से जोड दिया जिससे व्यक्ति की निजी गोपनीयता पर भी प्रश्न चिन्ह लग गया हैं । सरकारों ने चाहे वह केन्द्र की हो राज्य की सरकार सभी ने अपने स्वार्थ की खातिर आम जनता की गोपनीयता को दांव पर लगा दिया हैं । पिछले दस वर्षों के इतिहास को देखे तो पता चलता हैं गरीब और गरीब होता जा रहा हैं और अमीर और अमीर होता जा रहा हैं ।
मंहगाई जिस रफ्तार से रोज की रोज बढ रही हैं उस हिसाब से जनता के वेतन में बढोतरी नहीं हो रही है भला ऐसे में आम आदमी कहां से पैसा लायें । कोई भी पार्टी की सरकार आयें सता में उसने हमेशा जनता को नीम्बू की तरह निचोड कर रख दिया । कभी किसी ने जनता का भला नहीं किया । कभी भी जनता का कल्याण नहीं किया । यहीं वजह हैं कि देश भर में असंतोष पनप रहा हैं और अपराध बढ रहें है जिनमें सर्वाधिक संख्या युवापीढ़ी की हैं । अतः सरकार बिना किसी भेदभाव के सभी वर्ग के लोगों को उनकी योग्यता के अनुरूप रोजगार उपलब्ध करायें । हर हाथ को काम दे । योजनाओं का नाटक बंद करें और रोगी को निशुल्क उपचार उपलब्ध करायें एवं उपचार के लिए किसी भी प्रकार की शर्त न रखें । प्रतिभावान छात्राओं को बिना किसी औपचारिकता के उनकी शिक्षण संस्थान में ही उनकी अंकतालिका के आधार पर छात्रवृत्ति , साइकिल व स्कूटी उपलब्ध करायें । मंहगाई की मार से जनता को राहत दिलाये ।
समस्या तो समाधान चाहती है न कि दलगत राजनीति । अतः सरकार हर नागरिक को मूलभूत सुविधाएं निः शुल्क उपलब्ध करायें । सरकार ने जो घर – घर गैस की पाईप लाईन बिछाने की योजना शुरू की हैं उसे तत्काल बंद करें । चूंकि अभी तो जनता बिजली के मीटरों से परेशान हैं जिसमें खपत से भी अधिक का बिल आ रहा है फिर यही हाल इन गैस के मीटरों में होगा और इससे देश में असंतोष ही पनपेगा. सरकार कोई भी कदम उठाने से पहले जनता-जनार्दन से भी राय ले तो बेहतर होगा । जनता-जनार्दन पर आंख मिचकर कोई भी नियम या कानून कायदे जबरन थोप देना न्याय संगत बात नहीं है ।
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