असफलता हमारी श्रेष्ठ गुरू

असफलता हमारी श्रेष्ठ गुरू, इसके लिए व्यवहारिक धरातल पर भी देखना, समझना और बटोरना पडता हैं। दूसरों के अनुभव व उनकी सफलता – असफलताओं की बातें हमारी दशा व दिशा को बदल कर हमें सफलता की ऊंचाइयों पर ले जिती हैं। #सुनील कुमार माथुर, जोधपुर (राजस्थान)
कहते हैं कि ठोकर खाकर आदमी बहुत कुछ सीख जाता हैं, तभी तो कहा गया है कि असफलता हमारी श्रेष्ठ गुरू हैं अन्यथा हमें सफलता का अहसास कौन कराता।
किसी महापुरूष ने कहा है कि हम गलतियों के लिए बहुत अच्छे वकील बन जाते हैं और दूसरों की गलतियों के लिए बहुत अच्छे जज। हर व्यक्ति में विशेष गुण और प्रतिभा होती है। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को अपने अंदर मौजूद गुणों और प्रतिभा को पहचाना चाहिए।
हमारें चारों ओर ज्ञान का भंडार भरा हुआ है। ज्ञान अर्जित करना ही काफी नहीं हैं ज्ञान को व्यवहार में लाने पर सफलता मिलती है। जब हम किसी लक्ष्य को लेकर काम करते हैं तब यह जरूरी नही है कि हम हर समय पहली बार में ही सफल हो जाये।
अनेक बार विफल भी होते है लेकिन असफलताओं से घबराकर लक्ष्य को नहीं छोडना चाहिए बल्कि सकारात्मक सोच और पूरी ताकत के साथ लगातार प्रयास करते रहना चाहिए।
जीवन में आगे बढने के लिए लक्ष्य होना नितांत आवश्यक हैं। भविष्य के लिए अपनी तैयारी रखना सफलता का मूलमंत्र हैं। चूंकि अवसर आने पर तैयारी करने का मौका नहीं मिलेगा। इसके लिए हमें ज्ञान अर्जित करना पडेगा। ज्ञान केवल किताबों से ही नहीं मिलता है।
इसके लिए व्यवहारिक धरातल पर भी देखना, समझना और बटोरना पडता हैं। दूसरों के अनुभव व उनकी सफलता – असफलताओं की बातें हमारी दशा व दिशा को बदल कर हमें सफलता की ऊंचाइयों पर ले जिती हैं। अतः जीवन में आगे बढने के लिए लक्ष्य होना जरूरी हैं।
👉 देवभूमि समाचार में इंटरनेट के माध्यम से पत्रकार और लेखकों की लेखनी को समाचार के रूप में जनता के सामने प्रकाशित एवं प्रसारित किया जा रहा है। अपने शब्दों में देवभूमि समाचार से संबंधित अपनी टिप्पणी दें एवं 1, 2, 3, 4, 5 स्टार से रैंकिंग करें।
True
Nice article
Nice
Nice article
Very true.
Nice article