सब टच में बिजी हैं…
सब टच में बिजी हैं, जीवन तो एक पानी का बुलबुला है जो न जानें कब फूट जायें। इसलिए जब तक यह जीवन है तब तक हमेंशा खुश रहें। सभी के साथ प्रेम पूर्वक मधुर व्यवहार करें। अच्छा संगीत सुनें और उसे मन ही मन में गुनगुनाते हुए अपना कार्य करें। #सुनील कुमार माथुर, जोधपुर, राजस्थान
कहने को तो हम सभ्य समाज में रह रहे हैं और तकनीकी युग में जीवन व्यतीत कर रहे हैं लेकिन हकीकत में देखें तो हम अपने आप में ही बिना काम काज के ही बिजी हो गये। भाई भाई से बात नहीं कर रहा हैं। औलाद मां-बाप से बात नहीं कर रही हैं हर कोई मोबाइल से चिपका पडा हैं। एक ही छत के नीचे एक ही कमरे में परिवार के सभी सदस्य पास पास में बैठे लेकिन कोई किसी से बात नहीं कर रहा हैं। सभी की बस मोबाइल पर उंगलियां चल रहीं हैं अगर यूं कहा जाए कि आजकल उंगलियां ही रिश्ते निभा रही हैं तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। आज रिश्ते जुबां से निभाने का वक्त किसके पास हैं। सब टच में बिजी हैं, मगर एक-दूसरे के टच में कोई नहीं है। यह कैसा सभ्य समाज और यह कैसा तकनीकी युग।
खुश रहने के लिए : खुश रहने के लिए पांच सितारा होटलों में खाना खाना, नाच गाना देखना, शराब पीना, अच्छे अच्छे कपड़े पहनना, गाड़ी बंगला, धन दौलत का होना ही पर्याप्त नहीं है अपितु खुश रहने के लिए माता-पिता का साथ होना, उनके साथ भोजन करना, दुःख सुख को बांटना, अच्छे दोस्तों का होना व ज्ञानवर्धक, प्रेरणादायक व चरित्र निर्माण करने वाली तथा देश भक्ति से ओत-प्रोत पत्र पत्रिकाओं का होना जीवन में नितान्त आवश्यक है।
हमेंशा खुश रहें : जीवन तो एक पानी का बुलबुला है जो न जानें कब फूट जायें। इसलिए जब तक यह जीवन है तब तक हमेंशा खुश रहें। सभी के साथ प्रेम पूर्वक मधुर व्यवहार करें। अच्छा संगीत सुनें और उसे मन ही मन में गुनगुनाते हुए अपना कार्य करें। आपका सद् व्यवहार ही तो आपकी सबसे बड़ी पूंजी है जिसे संभाल कर रखना हमारा परम दायित्व है। हम किसी कारणवश किसी की कोई भी मदद नहीं कर सकते तो कम से कम प्रेम के दो मधुर शब्द बोल कर उसके सुख दुःख तो पूछ ही सकते हैं। किसी से जब हम प्रेम और स्नेह से बातचीत करते हैं तो उसका आधा दुःख वैसे ही समाप्त हो जाता हैं। इसलिए जीवन में हंसते मुस्कुराते रहें और जीवन का भरपूर आनंद ले। वैसे भी सूर्योदय और सूर्यास्त हमें जीवन में यही सिखाते हैं कि जीवन में कुछ भी स्थाई नहीं है इसलिए हमेंशा खुश रहें और जीवन यात्रा का भरपूर आनंद ले।
एक खूबसूरती और आस : प्रगतिशील समाज में प्रायः प्रतिस्पर्धा चलती ही रहती हैं। अतः इस प्रतिस्पर्धा में आगे निकलने के चक्कर में कभी भी किसी के साथ छल कपट, धोखा, विश्वासघात न करें। न ही किसी के साथ कोई ऐसा वायदा करों कि बाद में आप उसे निभा न पाओं। तमन्ना रखो आसमान छूने की लेकिन दूसरों को गिराने कि इरादा कभी न रखों।
किसी सज्जन ने बहुत अच्छी बात कहीं हैं कि एक ताजगी, एक अहसास। एक खूबसूरती एक आस। एक आस्था और एक विश्वास यही एक अच्छे जीवन की शुरुआत हैं। अतः जीवन में सबके साथ प्रेम पूर्वक मधुर संबंध बनाकर आदर्श जीवन व्यतीत करना होगा तभी इस जीवन को पाना सार्थक सिद्ध होगा।