***
आपके विचार

देश में बदहाली और मानवीय मुद्दों का विवेचन

राजीव कुमार झा

डॉ . भवान महाजन का संस्मरणात्मक शैली में लिखा उपन्यास ‘ अंतस के परिजन ‘ मनुष्य के जीवन में रोग – बीमारी, उपचार और इन सबके बीच समाज में उसके जीवन से जुड़ीं अन्य बातों की चर्चा को अपने यथार्थ में सबके सामने प्रकट करता है ! इस उपन्यास के अनंतर प्रसंगों में आने वाली कुछ कथाएं इस संदर्भ में मनोगत उद्वेलन और विचलन के भावों को जन्म देती हैं लेकिन इसके बावजूद इस उपन्यास में लेखक ने रोग और बीमारी की पीड़ा और व्यथा से किसी चुप्पी में लड़ाई लड़ते लोगों की जीवनकथा का मर्मस्पर्शी बयान किया है !

किसी भी चिकित्सक की दुनिया में समाज के शेष लोगों की तुलना में सदैव काफी भिन्न बातें स्थित होती हैं ! चिकित्सा एक मानवीय कर्म होने के अलावा समाज सेवा की भावना से भी जुड़ा कार्य है! इस पेशे में इस प्रकार की जीवनचेतना से जुड़े लोगों में स्वभावत: मनुष्य के जीवन को काफी निकट से देखने जानने का मौका प्राप्त होता है और प्रस्तुत उपन्यास में लेखक डाक्टर डॉ. भवान महाजन के द्वारा लिखित कई विवरणों के माध्यम से हमें मनुष्य के जीवन की कई सहज परिस्थितियों के बारे में जानकारी प्राप्त होती है !

अगर ध्यान से देखा जाय तो इनमें बेहद आत्मीय ता से लेखक मनुष्य के जीवन में रोग के आगमन और इससे उसके सामान्य जीवन पर इसके पड़ने वाले प्रभावों की गहरी पड़ताल करता दिखाई देता है! इसे प्रस्तुत की विषयवस्तु का सबसे महत्वपूर्ण पक्ष कहा जा सकता है और इसमें हमारे जीवन की सुख – दुख की बातें घर आंगन , परिवार, रिश्ते – नातों , परिचितों के बीच सहजता से आवाजाही करती दिखाई देती हैं!

अंतस के परिजन ( मूल : मराठी )
लेखक : भवान महाजन
हिंदी अनुवाद : अशोक बिंदल
प्रकाशक : दिव्य प्रकाशन, द्वारा दिव्या बिंदल, 1503 – A, मेघदूत, बैंक रोड, लोखंडवाला, अंधेरी ( पश्चिम ) मुंबई 400053
ई-मेल : divyaprakashan@gmail.com
मोबाइल 09820219802

आत्मकथात्मक शैली में लिखे गये इस उपन्यास का नायक स्वयं लेखक को कहा जा सकता है और उसके पेशे के अनुरूप उसकी जीवन यात्रा के अलग -अलग पड़ावों से जुड़े समाज में विभिन्न प्रकार के लोगों की इन कहानियों में जीवन के यथार्थ के रूप में मनुष्य के जीवन में बीमारी के साथ उसके जीवन की ग़रीबी , विवशता, लापरवाही, अपने ही लोगों की उपेक्षाओं के बीच उसके जीवन संघर्ष का मार्मिक विवेचन हुआ है और यह सब पठनीय है और इससे भी ज्यादा इसे विचारणीय प्रसंग के रूप में देखा जाना ज्यादा उपर्युक्त होगा !

चिकित्सा की प्रक्रिया के दौरान डाक्टर को रोगी के व्यक्तिगत जीवन के अलावा उसके पारिवारिक और सामाजिक परिवेश के बारे में भी जानकारी इकट्ठी करनी पड़ती है और इस पुस्तक में भी संकलित कथाएं आदमी के जीवन में रोग की शुरुआत उसके निदान इससे जुड़ी कठिनाइयां इन सबके बारे में एक समर्पित डॉक्टर के जीवनानुभवों से हमारा परिचय कराती हैं!

इस संदर्भ में पति के द्वारा बांझ करार देकर वापस गांव आकर परित्यक्त महिला का जीवन व्यतीत करने के दौरान उसके पेट के निचले हिस्से में बनने वाली गांठ के इलाज के दौरान अवैध गर्भ के ठहरने के बारे में उजागर होने वाली तान्हाबाई की कथा ‘ निष्कलंक ‘ हो या दांपत्य जीवन में आपसी तनाव विवाद को झेलते रहने वाले दंपति रीटा और जोसेफ की कथा में अचानक रीटा के घर में जल जाने की दुर्घटना के बीच उसके माता – पिता के द्वारा जोसेफ पर उसे जला कर मारने की चेष्टा की चर्चाओं के बीच होश आने पर रीटा के द्वारा उसे बेगुनाह बताया जाना किसी डॉक्टर के लिखे विवरणों में शामिल ऐसे प्रसंग हैं, जो कई विचारणीय मुद्दों से हमें अवगत कराते हैं!

बीमारी के दौरान इलाज रोगी की सबसे बड़ी जरूरत और उसकी चाहत होती है! उसके अपने लोग इस कर्तव्य को धर्म की तरह निभाते हैं और इसमें रोगी की मौत के बाद भी उसके अपने लोगों का प्रदर्शित प्रेम जीवन के सुवास की तरह सबके मन में समा जाता है ! किसी परिवार के एक अतिवृद्ध जन के उसके परिजनों के द्वारा उपचार पर आधारित कथा ‘अंतरात्मा की मिठास ‘ को पढ़ना भी सुखद प्रतीत होता है .

कैंसर की बीमारी जानलेवा है और स्तन में गांठ बनने के बाद सखूबाई के परिवार के लोगों के द्वारा चिकित्सक के परामर्श के बावजूद अर्थाभाव की बात कहकर समय पर उसके आपरेशन उपेक्षा अंततः उसकी बीमारी को जानलेवा स्टेज पर पहुंचा देता है और अंत में उसका आपरेशन असफल साबित होता है ! वह मौत का शिकार हो जाती है और उसके श्राद्ध में खूब खर्च किया जाता है ! महाराष्ट्र के गांवों में लोग सीधे सादे सरल स्वभाव के होते हैं और किसी सह्दय आदमी के अच्छे कामों में भी गरीबी के बावजूद उसकी संपन्नता में योगदान देना चाहते हैं!

‘ मासूम ‘ शीर्षक कहानी में लेखक के द्वारा किसी ग्रामीण इलाके में हास्पिटल स्थापना में वित्त प्रबंध में कठिनाई की बातें सुनने के बाद साधारण पृष्ठभूमि के किसी स्थानीय व्यक्ति के द्वारा उसे इस काम के लिए बिना प्रयोजन सात हजार रुपये की थैली सौंपना और बाद में इस तथ्य का तहकीकात में उजागर होने की घटना पर आधारित ‘ मासूम ‘ शीर्षक कहानी में लेखक उस ग्रामीण व्यक्ति को रुपये लौटाता हुआ दिखाई देता है! हमारे देश में जनस्वास्थ्य की दशा आज भी बहुत बेहतर नहीं है और देश के दूरदराज के इलाकों में आधुनिक चिकित्सा सुविधाओं की काफी कमी बनी हुई है!

यह हमारे समाज का सबसे महत्वपूर्ण मसला है और इसके बारे में इस क्षेत्र में काम करने वाले डॉक्टर – चिकित्सक शायद सबसे बेहतर ढंग से सारी बातों को जानते और समझते हैं इसलिए इस विषय के बारे में मराठी के चिकित्सक – लेखक डॉ . भवान महाजन के आत्मकथात्मक शैली में लिखे प्रसिद्धउपन्यास ‘ मैत्र जिवाचे ‘ के हिंदी अनुवाद ‘ अंतस के परिजन ‘ को पढ़ना दिलचस्प अनुभव की तरह साबित होता है और यहां लेखक मर्मस्पर्शी शैली में आदमी उसका जीवन , समाज, व्यवस्था और इसके बीच नाना प्रकार की बीमारियों की दुनिया के साथ अस्पताल – डिस्पेंसरी और डॉक्टर के फैले जंजाल में जीवन के संकट का सामना करने वाले लोगों की व्यथा कथा को जीवंतता से शब्दबद्ध करता प्रतीत होता है !

उपन्यास लेखन में कथा योजना के विस्तृत धरातल पर लेखक समाज के जिस प्रसंग को उठाता है , उसके वर्णन में उसकी जीवनानुभूतियों की भूमिका महत्वपूर्ण होती है ! महाराष्ट्र के षज्ञ औरंगाबाद और इसके आसपास के क्षेत्रों में डा . भवान महाजन का नाम काफी जाना पहचाना है और चिकित्सक के रूप में उन्होंने इस इलाके के जनसामान्य लोगों के बीच समर्पित भाव से चिकित्सा सेवा दी है ! मनुष्य के जीवन में किसी काल में रोग बीमारियों के समावेश को ईश्वर का प्रकोप माना जाता था लेकिन आधुनिक समय और समाज में रोग के प्रकोप के बारे में अब सबका नजरिया बदल चुका है !

प्रस्तुत पुस्तक में लेखक ने समाज में आदमी के जीवन में रोग और बीमारी को लेकर हमारे दृष्टिकोण के इन पहलुओं के अलावा इसके अन्य आयामों को मानवीय आधार पर देखने समझने की चेष्टा की है और यह सराहनीय है ! मनुष्य के जीवन में सामान्य रूप से दस्तक देने वाली बीमारियां और इनके साथ हमारे जीवन के रोजमर्रा के संबंधों की चर्चा के बीच डाक्टरों के द्वारा असाध्य घोषित कर दिये जाने वाले रोगों की विवेचना के साथ इस उपन्यास में स्वास्थ्य की निरंतर देखभाल और रोगों के सामान्य और विशेष उपचार से जुड़ी जीवनोपयोगी बातों को अपने कथ्य में प्रमाणिकता से समेटने वाले इस उपन्यास को शुरू से आखिर तक पढ़ना एक दिलचस्प अनुभव साबित होता है !

इस उपन्यास में लेखक ने चिकित्सक के तौर पर कई रोगियों के इलाज के दौरान के अनुभवों को अपने विमर्श में शामिल किया है और इनमें अनुभूतियों और संवेदनाओं का रंग भरकर शब्दों को सजीव रूप दिया है ! यह सब डाक्टर के रूप में उनके केस स्टडी की तरह प्रतीत होने वाली कथात्मक शैली में लिखी चिकित्सकीय विवरण समाज में आदमी के जीवन में रोग और बीमारी जैसी चीजों के बारे में कई तरह के यथार्थ को उद्घाटित करते हैं जिन्हें जानना समझना जरूरी है!

इस प्रसंग में इस कृति की पहली कथा शीर्षक भोर में इलाज की सेवा सुविधा से कोसों दूर महाराष्ट्र के किसी गांव के युवक बंडू के इलाज के लिए रात के अंधेरे में उसके पास पहुंचने से लेकर अंतिम कथा पुरुषत्व तक को पढ़ते हुए देश के चिकितसा और जनस्वास्थ्य के समग्र परिदृश्य की कई जानी अनजानी बातें इस उपन्यास को पठनीय रूप प्रदान करती हैं और भारतीय जनजीवन के सुख – दुख के सहज संसार से हमारा परिचय कराती हैं ! चिकित्सा विज्ञान के काफी विकास के बावजूद हमारे देश में बीमारियों से बचाव को लेकर भी सतत जागरूकता की जगह ज्यादातर लापरवाही की प्रवृत्तियां प्रचलित देखने को मिलती हैं.

अपने समाज के गरीब या अत्यंत साधारण लोगों के बारे में यह बात खासकर और भी सच कही जा सकती है! इस उपन्यास की अगली कुछ कथाओं में जिनमें हृदय के वाल्व के आपरेशन का सामना करने वाले संगीत प्रेमी युवक अजय की कारुणिक कथा ‘ जब दिल ही टूट गया ‘ की चर्चा महत्वपूर्ण है जो आपरेशन के बाद अचानक चल बसता है! डाक्टर और उनका इलाज रोगियों में जीवन के प्रति भरोसे के भाव को प्रकट करता है लेकिन इसकी अलग त्रासदियां हैं और लेखक अपनी इस किताब में इनसे जुड़ी समस्त वैचारिक बातों को लेकर एक स्वस्थ बहस को यहां शुरू करता दिखाई देता है !

इसकी शुरुआती कथाओं में महाराष्ट्र के ग्रामीण समाज की परिस्थितियों से जुड़ी घटनाओं का ज्यादातर उल्लेख है और यहां लेखक के जीवन का शुरुआती हिस्सा सरकारी जनस्वास्थ्य केन्द्रों पर डाक्टर के रूप में काम करते व्यतीत हुआ ! इस उपन्यास में लेखक ने आदमी के जीवन की एक बेहद दुखद कथा का वर्णन किया है ! रोगी की शक्ल में आदमी का चेहरा बीमारी से निजात पाने या नहीं पाने की भावनाओं के बीच मजबूरी , असहायता , भय , करुणा , ममता और प्रेम इन सारे मनोभावों की डोर में जिंदगी का रंगबिरंगे पतंग के यथार्थ को पूरी सच्चाई से यथार्थ को सबके सामने प्रकट करता है !

इस उपन्यास के अनंतर प्रसंगों में आने वाली कुछ कथाएं इस संदर्भ में विचलन के भावों को जन्म देती हैं! किसी भी चिकित्सक की दुनिया में समाज के शेष लोगों की तुलना में सदैव काफी भिन्न बातें स्थित होती हैं ! चिकित्सा एक मानवीय कर्म होने के अलावा समाज सेवा की भावना से भी जुड़ा कार्य है! इस पेशे में इस प्रकार की जीवनचेतना से जुड़े लोगों में स्वभावत: मनुष्य के जीवन को काफी निकट से देखने जानने का मौका प्राप्त होता है और प्रस्तुत उपन्यास में लेखक डाक्टर डॉ . भवान महाजन के द्वारा लिखित कई विवरणों के माध्यम से हमें मनुष्य के जीवन की कई सहज परिस्थितियों के बारे में जानकारी प्राप्त होती है ! अगर ध्यान से देखा जाय तो इनमें बेहद आत्मीयता से लेखक मनुष्य के जीवन में रोग के आगमन और इससे उसके सामान्य जीवन पर इसके पड़ने वाले प्रभावों की गहरी पड़ताल करता दिखाई देता है!

इसे प्रस्तुत की विषयवस्तु का सबसे महत्वपूर्ण पक्ष कहा जा सकता है और इसमें हमारे जीवन की सुख – दुख की बातें घर आंगन, परिवार, रिश्ते – नातों , परिचितों के बीच सहजता से आवाजाही करती दिखाई देती हैं! आत्मकथात्मक शैली में लिखे गये इस उपन्यास का नायक लेखक को कहा जा सकता है और उसके पेशे के अनुरूप उसकी जीवन यात्रा के अलग -अलग पड़ावों से जुड़ी समाज में विभिन्न प्रकार के लोगों की इन कहानियों में जीवन के  यथार्थ के रूप में मनुष्य के जीवन में बीमारी के साथ उसके जीवन की ग़रीबी , विवशता, लापरवाही, अपने ही लोगों की उपेक्षाओं के बीच उसके जीवन संघर्ष का मार्मिक विवेचन हुआ है और यह सब पठनीय है और इससे भी ज्यादा इसे विचारणीय कहा जाना उपर्युक्त होगा !

चिकित्सा की प्रक्रिया के दौरान डॉ क्टर को रोगी के व्यक्तिगत जीवन के अलावा उसके पारिवारिक और सामाजिक परिवेश के बारे में भी जानकारी इकट्ठी करनी पड़ती है और इस पुस्तक में भी संकलित कथाएं आदमी के जीवन में रोग की शुरुआत उसके निदान इससे जुड़ी कठिनाइयां इन सबके बारे में एक समर्पित डॉक्टर के जीवनानुभवों से हमारा परिचय कराती हैं! इस संदर्भ में पति के द्वारा बांझ करार देकर वापस गांव आकर परित्यक्त महिला का जीवन व्यतीत करने के दौरान उसके पेट के निचले हिस्से में बनने वाली गांठ के इलाज के दौरान अवैध गर्भ के ठहरने के बारे में उजागर होने वाली तान्हाबाई की कथा ‘ निष्कलंक ‘ हो या दांपत्य जीवन में आपसी तनाव विवाद को झेलते रहने वाले दंपति रीटा और जोसेफ की कथा में अचानक रीटा के घर में जल जाने की दुर्घटना के बीच उसके माता – पिता के द्वारा जोसेफ पर उसे जला कर मारने की चेष्टा की चर्चाओं के बीच होश आने पर रीटा के द्वारा उसे बेगुनाह बताया जाना किसी डॉक्टर के लिखे विवरणों में शामिल ऐसे प्रसंग हैं जो कई विचारणीय मुद्दों से हमें अवगत कराते हैं!

बीमारी के दौरान इलाज रोगी की सबसे बड़ी जरूरत और उसकी चाहत होती है! उसके अपने लोग इस कर्तव्य को धर्म की तरह निभाते हैं और इसमें रोगी की मौत के बाद भी उसके अपने लोगों का प्रदर्शित प्रेम जीवन के सुवास की तरह सबके मन में समा जाता है ! किसी परिवार के एक अतिवृद्ध जन के उसके परिजनों के द्वारा उपचार कीकथा ‘ अंतरात्मा की मिठास ‘ में इसे जीवंतता से उठाया गया है. कैंसर की बीमारी जानलेवा है और स्तन में गांठ बनने के बाद सखूबाई के परिवार के लोगों के द्वारा चिकित्सक के परामर्श के बावजूद अर्थाभाव की बात कहकर समय पर उसके आपरेशन उपेक्षा अंततः उसकी बीमारी को जानलेवा स्टेज पर पहुंचा देता है और अंत में उसका आपरेशन असफल साबित होता है ! वह मौत का शिकार हो जाती है और उसके श्राद्ध में खूब खर्च किया जाता है !

महाराष्ट्र के गांवों में लोग सीधे सादे सरल स्वभाव के होते हैं और किसी सह्दय आदमी के अच्छे कामों में भी गरीबी के बावजूद उसकी संपन्नता में योगदान देना चाहते हैं! ‘ मासूम ‘ शीर्षक कहानी में लेखक के द्वारा किसी ग्रामीण इलाके में हास्पिटल स्थापना में वित्त प्रबंध में कठिनाई की बातें सुनने के बाद साधारण पृष्ठभूमि के किसी स्थानीय व्यक्ति के द्वारा उसे इस काम के लिए बिना प्रयोजन सात हजार रुपये की थैली सौंपना और बाद में इस तथ्य का तहकीकात में उजागर होने की घटना पर आधारित ‘ मासूम ‘ शीर्षक कहानी में लेखक उस ग्रामीण व्यक्ति को रुपये लौटाता यक्ष दिखाई देता है!


¤  प्रकाशन परिचय  ¤

Devbhoomi
From »

राजीव कुमार झा

कवि एवं लेखक

Address »
इंदुपुर, पोस्ट बड़हिया, जिला लखीसराय (बिहार) | Mob : 6206756085

Publisher »
देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड)

Devbhoomi Samachar

देवभूमि समाचार में इंटरनेट के माध्यम से पत्रकार और लेखकों की लेखनी को समाचार के रूप में जनता के सामने प्रकाशित एवं प्रसारित किया जा रहा है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
Verified by MonsterInsights