बाल कहानी : आदर्श संस्कार

सुनील कुमार माथुर

रविवार का दिन था । सुनील , चेतन , नरेश , राजेंद्र व चांद मोहम्मद ने शास्त्री नगर के मैदान में खेलने का कार्यक्रम बनाया और मैदान जाते हुए शशिधर को साथ लेने के लिए उसके घर गये लेकिन शशिधर ने यह कहकर खेलने से इंकार कर दिया कि आज माताजी की तबियत ठीक नहीं है इसलिए मैं माताजी को अकेला छोडकर खेलने के लिए नहीं जा सकता । अतः क्षमा चाहता हूं ।

शशिधर के सभी साथी खेलने चले गये । इधर शशिधर अपनी बीमार मां के उपचार हेतु दवा लेने चला गया । रास्ते में उसे एक काला बैग मिला । उसने इधर-उधर देखा लेकिन उसे कोई भी दिखाई नहीं दिया । वह दवा और बैग लेकर घर आया और सारी बात अपनी मां को बताई ।

मां ने कहा कि बेटा ! इस बैग को जाकर थाने में जमा करा दे चूंकि यह बैग हमारा नहीं है और जिसका हैं वह इसे ढूंढ रहा होगा और न पाकर परेशान हो रहा होगा । मां की बात सुनकर शशिधर ने अपने दोस्तों को सारी बात बताई और घर पर बुलाया । बैग देखकर बच्चे थाने गये और थानेदार साहब को सारी बात बताई ।

इधर जिन सज्जन का बैग खो गया वे घबराये हुए थाने पहुंचें और पूरी जानकारी पुलिस को दी । पुलिस बच्चों के साथ उन सज्जन को भी शशिधर के घर ले गयें और बैग संभाला । जो उन सज्जन का ही था और उसमें रखे सभी कीमती आभूषण व नकदी सही सलामत पाए गये ।

जब वह सज्जन शशिधर को धन्यवाद के साथ कुछ नकद राशि पुरस्कार स्वरूप देनी चाही तो शशिधर ने यह कहकर पुरस्कार लेने से इंकार कर दिया कि मां ने हमें बचपन में ही कहा था कि बेटा दूसरो की खोई हुई किसी भी वस्तु पर कभी भी अपना हक नहीं जताना चाहिए अपितु जिसकी जो वस्तु हैं उसे उसके असली मालिक को लौटा देना चाहिए । इसी में महानता हैं ।

बीमार मां के आदर्श संस्कार से वह सज्जन इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने शशिधर की माता का स्वयं के खर्चे से उपचार कराया और कहां आज से आप मेरी मां हुई । मेरी माता का निधन मेरे जन्म के साथ ही हो गया था और मै अपनी मां को देख नहीं पाया । वह सज्जन बीमार मां के आदर्श संस्कारों से इतना प्रभावित हुए कि उन्होंने कहा कि मां आपके आदर्श संस्कारों के कारण ही ये कीमती सोने के आभूषण व इतनी बडी नगदी खोने से बच गयी ।

कल ही मेरी बच्ची की शादी हैं और यह आभूषण उसी के लिए बनवाये थे । उन्होंने शशिधर के सिर पर प्यार व स्नेह से हाथ फेरते हुए कहा बेटा ! सभी को तुम्हारे जैसी मां मिले।


¤  प्रकाशन परिचय  ¤

Devbhoomi
From »

सुनील कुमार माथुर

लेखक एवं कवि

Address »
33, वर्धमान नगर, शोभावतो की ढाणी, खेमे का कुआ, पालरोड, जोधपुर (राजस्थान)

Publisher »
देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड)

5 Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Devbhoomi Samachar
Verified by MonsterInsights