बालकों को अभिरुचि का मौलिक अधिकार : नौंगाई
दीवार पत्रिका पर कनालीछीना के हाईस्कूल, इंटर कालेजों के प्रधानाचार्यों की कार्यशाला संपन्न

बालकों को अभिरुचि का मौलिक अधिकार : नौंगाई, उन्होंने कहा कि दीवार पत्रिका एक ऐसा रोचक माध्यम है जिसके द्वारा हम बच्चों में अनेक दक्षताएं,कौशल और मूल्यों को विकसित कर सकते हैं। साथ ही अपनी पाठ्यवस्तु को रोचक ढंग…
कनालीछीना ( पिथौरागढ)। “दीवार पत्रिका : एक अभियान” से जुड़े शिक्षकों का अभिनव प्रयोग अब पिथौरागढ में साकार होता दिख रहा है। बच्चों को पुस्तकों से प्रेम और अध्ययन के प्रति स्वाभाविक लगाव को स्थापित करने के इस अभियान को अमलीजामा खंड शिक्षा अधिकारी हिमांशु नौंगाई ने अपना लिया है। इस कडी में आज कनालीछीना विकासखंड के हाईस्कूल और इंटर कॉलेजों के प्रधानाचार्यों की कार्यशाला में यह बात खुलकर सामने आई।
इस मौके पर जिला बाल कल्याण समिति ने बाल अपराधों के नियंत्रण में स्कूलों और अभिभावकों की भूमिका पर विस्तार से चर्चा की और बालकों के उनके नैसर्गिक अधिकार प्रदान करने के लिए दीवार पत्रिका और झोला पुस्तकालय को मील का पत्थर बताया।कार्यशाला में खंड शिक्षा अधिकारी हिमांशु नौंगाई ने कहा कि ‘दीवार पत्रिका’ और पुस्तकालय एक दूसरे के पूरक हैं। पढ़ने की संस्कृति को आगे बढ़ाने के लिए इन दोनों गतिविधियों का विद्यालय में सुचारू रूप से संचालन होना बहुत जरूरी है।
बच्चों में मौलिक अभिव्यक्ति, रचनात्मकता और नेतृत्व के गुणों को विकसित करने के लिए ये प्रभावशाली औजार हैं। दीवार पत्रिका ज्ञान निर्माण की प्रक्रिया को धरातल पर उतारने का एक शानदार टूल है। उन्होंने इस बात पर बल देते हुए कहा कि आगामी शिक्षा सत्र में विकासखंड के हर विद्यालय में प्राथमिकता के आधार पर दीवार पत्रिका तैयार की जाए। साथ ही इसके साथ जोड़ते हुए पुस्तकालय को भी सक्रिय किया जाय। उन्होंने कहा कि पुस्तकालयों की जिम्मेदारी बच्चों को सौंपी जानी चाहिए। उपलब्ध संसाधनों से ही इस कार्य की शुरुआत की जाए।
कोई जरूरी नहीं है कि इसके लिए अलग से कोई कक्ष हो। झोला पुस्तकालय के माध्यम से भी इसे आगे बढ़ाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि स्कूल भ्रमण के दौरान वह इनका विशेष रूप से अवलोकन करेंगे। इस बैठक में दीवार पत्रिका क्या है? इसे क्यों और कैसे निकाला जाए ?इन बिंदुओं पर विस्तार से चर्चा करते हुए “दीवार पत्रिका :एक अभियान” के संयोजक महेश चंद्र पुनेठा ने बताया कि दीवार पत्रिका के अंतिम रूप से अधिक महत्वपूर्ण है दीवार पत्रिका की निर्माण प्रक्रिया। इसलिए इसकी निर्धारित प्रक्रिया का अनुपालन करना जरूरी है। यह प्रक्रिया लेखन से शुरू होकर,संपादन और प्रबंधन से आगे बढ़ती हुई लोकार्पण और समीक्षा तक जाती है।
इसके लिए बच्चों की क्षमताओं पर विश्वास करते हुए उन्हें काम करने और निर्णय लेने की स्वायत्तता दी जानी चाहिए और बच्चों से निरंतर संवाद स्थापित किया जाना चाहिए। उन्हें अपनी गलतियों से सीखते हुए आगे बढ़ने के मौके देने चाहिए। शिक्षक को इसमें मात्र एक प्रेरक की भूमिका में रहना चाहिए। पुस्तकालय अभियान से जुड़े अपने अनुभवों के आधार पर उन्होंने कहा कि बच्चों में पढ़ने की आदतों का विकास करने के लिए समय समय पर बच्चों के सामने नई नई किताबों की चर्चा करने और पुस्तकालय को एक गतिविधि केंद्र के रूप में विकसित करने की जरूरत है।
इस अवसर पर बा.रा.उ.मा.वि. देवलथल की प्रधानाध्यापिका सरोज जोशी जी ने अपने विद्यालय की दीवार पत्रिका से संबंधित गतिविधियों को स्लाइड शो के माध्यम से प्रदर्शित किया। उन्होंने कहा कि दीवार पत्रिका एक ऐसा रोचक माध्यम है जिसके द्वारा हम बच्चों में अनेक दक्षताएं,कौशल और मूल्यों को विकसित कर सकते हैं। साथ ही अपनी पाठ्यवस्तु को रोचक ढंग से पढ़ा सकते हैं। बच्चों को यदि अवसर दिया जाय तो वे अच्छा प्रदर्शन करते हैं। जिला बाल कल्याण समिति के सदस्य और वरिष्ठ पत्रकार जगदीश कलौनी ने दीवार पत्रिका और पुस्तकालय के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि नई पीढ़ी में बढ़ते नशे और अन्य आपराधिक प्रवृत्तियों को रोकने में बच्चों की रचनात्मक गतिविधियों की ओर सक्रियता महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है जरूरत है उनकी ऊर्जा को इस दिशा में लगाए जाने की।
*बाल कल्याण समिति ने बालकों के प्रति संवेदनशीलता की बताई जरूरत*
इस दृष्टि से दीवार पत्रिका और पुस्तकालय व्यवहारिक उपाय हो सकते हैं। इस दिशा में की जाने वाली पहल निश्चित रूप से स्वागत योग्य है। उन्होंने इसके लिए खंड शिक्षा अधिकारी श्री नौंगाई की भूरी भूरी प्रशंसा की। बाल कल्याण समिति पिथौरागढ़ सदस्य रेखा रानी ने भी बाल अधिकारों और उनके साथ होने वाले अपराधों को रोकने में इस तरह की रचनात्मक गतिविधियों को महत्वपूर्ण बताया। इससे पूर्व खंड शिक्षा अधिकारी ने शैक्षिक गुणवत्ता के संवर्धन हेतु विभिन्न बिंदुओं पर चर्चा की । विशेष रुप से आने वाली बोर्ड परीक्षाओं की तैयारी को लेकर अपने महत्वपूर्ण सुझाव दिए और विश्वास व्यक्त किया कि इन सुझावों का क्रियान्वयन विद्यालय स्तर पर किया जाएगा ताकि आगामी परीक्षाओं में छात्र-छात्राएं बेहतर प्रदर्शन कर सकें।
उन्होंने इसके लिए एक ठोस रणनीति बनाए जाने पर भी बल दिया। खेल समन्वयक श्री पंत ने विकासखंड की इस वर्ष की खेल उपलब्धियों के बारे में विस्तार से बताया। इसके अलावा आगामी परिषदीय परीक्षाओं और गृह परीक्षाओं की तैयारी परीक्षा, प्रधानमंत्री की “परीक्षा पर चर्चा” कार्यक्रम, पेंटिंग प्रतियोगिता, निशुल्क गणवेश वितरण मध्यान भोजन, विद्यालयों में चल रहे निर्माण कार्य, गतिविधि पुस्तिकाओं के वितरण, विद्यालयों को मदवार वितरित धनराशि के व्यय की स्थित आदि बिंदुओं पर आवश्यक निर्देश दिए गए। आज की बैठक में कनालीछीना विकासखंड के विभिन्न इंटर कॉलेजों और हाईस्कूल के संस्थाध्यक्ष, सीआरसी समन्वयक और अन्य शिक्षक उपस्थित रहे। बैठक का संचालन बी आर सी समन्वयक एन डी पंत ने किया।
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