बाल कहानी : सच्ची दोस्ती
बाल कहानी : सच्ची दोस्ती, यह सुनकर गर्वित ने अपना टिफन केशव को खिला दिया। अब यह रोज का सिलसिला बन गया। गर्वित स्वंय भूखा रहने लगा, लेकिन यह बात किसी को भी पता नही चलने दी। #सुनील कुमार माथुर, जोधपुर (राजस्थान)
निमित, गर्वित, चेतन, संजय, संतोष एक ही कक्षा में पढते थे। उनकी दोस्ती की मिसाल हर कोई जानता था। दुख सुख में वे एक दूसरे की मदद करते थे। तीसरी क्लास के विधार्थी होने के बावजूद वे काफी समझदार थे। हर बार परीक्षा में भी अच्छे अंक लाते थे जिसके कारण शिक्षक भी उन्हें बेहद प्यार करते थे।
एक दिन गर्वित ने देखा की लंच के वक्त केशव जो उसी क्लास का छात्र हैं एकांत में बैठा रो रहा हैं। गर्वित चुपके से उसके पास गया और उससे रोने का कारण पूछा। तब केशव बोला, मेरी मां बीमार है और गरीबी के कारण दो वक्त की रोटी भी नही मिल रही हैं। मां के अलावा घर में कोई कमाने वाला भी नही हैं।
यह सुनकर गर्वित ने अपना टिफन केशव को खिला दिया। अब यह रोज का सिलसिला बन गया। गर्वित स्वंय भूखा रहने लगा, लेकिन यह बात किसी को भी पता नही चलने दी। एक दिन गर्वित की शिक्षिका सपना व कल्पना को यह बात पता चल गयी। तब उन्होंने सारी बात गर्वित की मम्मी को बताई। मां के पूछने पर गर्वित ने सब कुछ सच सच बता दिया।
मां गर्वित को लेकर केशव के घर गयी और केशव की मां का ईलाज कराया और सुबह शाम के भोजन की व्यवस्था की। उपचार के चलते और समय पर पौष्टिक भोजन मिलने से केशव की मां कुछ ही दिनों में ठीक हो गयी। ठीक होने पर केशव की मां ने गर्वित की मां मिनाक्षी के प्रति आभार व्यक्त किया और कहा कि उनकी वजह से वह ठीक हो पायी वरना कभी कि भगवान को प्यारी हो जाती।
गर्वित के सहयोग की सराहना करते हुए कहा कि भगवान सभी को गर्वित जैसा बेटा दें। जब स्कूल में शिक्षकों को यह बात पता चली तो उन्होंने कहा कि गर्वित ने सच्ची दोस्ती को निभाकर मानवीय मूल्यों को साबित कर दिखाया, यही आदर्श संस्कारों का परिणाम हैं।
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बहुत ही अच्छाई एक सच्चे दोस्त की कहानी ।
Nice article 👌